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विदेश : संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में मंगलवार को जारी की गई एक नई रिपोर्ट दुनिया भर में कूलिंग उत्सर्जन में कटौती का मार्ग प्रशस्त करती है। अमेरिका, कनाडा और केन्या सहित 63 देशों ने कूलिंग क्षेत्र के जलवायु प्रभाव को कम करने को प्रतिबद्धताओं के साथ एक ‘कूलिंग प्रतिज्ञा’ पर हस्ताक्षर किए हैं।
इससे जीवन रक्षक कूलिंग तक सभी की पहुंच उपलब्ध हो सकती है, ऊर्जा ग्रिडों पर दबाव कम हो सकता है और वर्ष 2050 तक खरबों डालर को बचत हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का अनुमान है कि दुनिया भर में कूलिंग के साधनों तक पहुंच नहीं होने के कारण एक अरब से अधिक लोग, अत्यधिक गर्मी की चपेट में आने के उच्च जोखिम में हैं, जिनमें से अधिकांश लोग, अफ्रीका व एशिया में निवास करते हैं।
वहीं,दुनिया की लगभग एक-तिहाई आबादी साल में 20 दिन से अधिक, घातक गर्मी के सम्पर्क में रहती है। कूलिंग से लोगों को राहत मिलती है और यह वैश्विक खाद्य सुरक्षा और कूलिंग जैसे अनेक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों व सेवाओं के माध्यम से वैक्सीन वितरण के लिए भी आवश्यक है। साथ ही, एयर कंडीशनिंग जैसे पारंपरिक कूलिंग उपकरण जलवायु परिवर्तन के एक प्रमुख कारक हैं, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के सात प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार है। यदि ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया, तो संबंधित उत्सर्जन के साथ कूलिंग के लिए ऊर्जा की आवश्यकता 2050 तक तीन गुन हो जाएगी।