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झारखंड विधानसभा में जमीन घोटाले और अधिग्रहण पर बवाल : गैर-मजरूआ जमीन पर किसानों को अधिकार देने की मांग

रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन जमीन अधिग्रहण, पीएमओआरसी (पब्लिक मूवमेंट ऑन रेवेन्यू केस) और म्यूटेशन से जुड़े मामलों पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए। विपक्ष ने सरकारी स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार की जांच की मांग की, वहीं सरकार ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

गैर-मजरूआ जमीन पर किसानों को अधिकार देने की मांग

झारखंड में गैर-मजरूआ जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस मुद्दे को विधायक नागेंद्र महतो ने उठाया और सरकार से सवाल किया कि आखिर किसानों को गैर-मजरूआ जमीन पर मालिकाना हक क्यों नहीं दिया जा रहा है? उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि बड़े उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है।

महतो ने यह भी कहा कि अगर सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाती है, तो हजारों किसानों को राहत मिलेगी। उन्होंने मांग की कि गैर-मजरूआ जमीन को तुरंत किसानों को पट्टे पर दिया जाए और उन्हें कानूनी रूप से मालिकाना हक प्रदान किया जाए।

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, घूसखोरी का मामला उठा

विपक्ष ने सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि जमीन अधिग्रहण और म्यूटेशन प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हैं। विधायक दीपक बिड़ला ने विधानसभा में एक मामला उठाया, जिसमें कथित रूप से एक अंचल अधिकारी (सीओ) ने जमीन से जुड़े एक मामले में 25 से 50 हजार रुपये की घूस मांगी।

बिड़ला ने कहा, “अगर कोई आम नागरिक या किसान अपनी जमीन से जुड़े कागजात को दुरुस्त करवाना चाहता है तो उसे रिश्वत देनी पड़ती है। यह भ्रष्टाचार सरकार की नाकामी को दर्शाता है।” उन्होंने मांग की कि ऐसे मामलों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

सीबीआई जांच के नाम पर देरी का आरोप

विधानसभा में चर्चा के दौरान विधायक शशि पाठक ने भी भ्रष्टाचार के मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी अपने गलत कार्यों को छिपाने के लिए सीबीआई जांच का बहाना बना रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर क्यों राज्य के कई जमीन अधिग्रहण और म्यूटेशन से जुड़े मामलों की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है?

उन्होंने कहा कि देवघर समेत अन्य जिलों में जमीन घोटाले सामने आए हैं, लेकिन जांच की गति बहुत धीमी है। पाठक ने सरकार से अपील की कि सीबीआई जांच का इंतजार किए बिना स्थानीय स्तर पर न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाए।

सरकार की सफाई और कार्रवाई का आश्वासन

इस पूरे मुद्दे पर जवाब देते हुए झारखंड सरकार में मंत्री दीपक बिड़ला ने कहा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी द्वारा घूसखोरी या अन्य अनियमितताओं की शिकायत मिलती है तो 15 दिनों के भीतर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

बिड़ला ने कहा, “हमारी सरकार किसी भी भ्रष्टाचार के मामले को हल्के में नहीं ले रही है। अगर किसी भी अधिकारी की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे किसानों और आम जनता से जुड़े मामलों में पारदर्शिता बरतें और यह सुनिश्चित करें कि बिना किसी बाधा के लोगों को उनकी जमीन से जुड़े अधिकार मिले।

झारखंड विधानसभा में जमीन अधिग्रहण और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान जारी है। जहां विपक्ष सरकार पर घोटालों को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि जांच की प्रक्रिया चल रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

अब देखना यह होगा कि सरकार अपनी घोषणाओं को कितनी तेजी से अमल में लाती है और क्या सच में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है या यह मामला भी सिर्फ विधानसभा की बहस तक ही सीमित रह जाता है।

KK Sagar
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