मिरर मीडिया : फ़ाइलों और विभागों के चक्कर में इंसान की जान जाने की जामुन का पेड़ की एक कहानी शायद आपने पढ़ी होगी जिनके लेखक कृष्ण चंदर जी है। इस कहानी में सेक्रेटेरिएट के लॉन में लगी जामुन का पेड़ किस विभाग के अंतर्गत आता है जहाँ फ़ाइल भेजी जाए बस इसी उहापोह में पेड़ के नीचे दबे बेचारे एक आदमी की जान अंततः चली जाती है। हालांकि यहाँ किसी की जान की बात कतई नहीं है बस बात विभाग के अधिकार की है।
आपको बता दें कि धनबाद में आगामी होने वाले प्रसिद्ध लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर शहर के विभिन्न तालाबों की साफ सफाई को लेकर नगर निगम अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पर कहीं दूसरे विभाग ने अड़चन लगा दी तो कहीं स्थानीय लोगों ने ही। इसी क्रम में समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने देश के राष्ट्रपति को धनबाद में विभिन्न विभागों के द्वारा कब्ज़ा किये जा रहे जमीनों को लेकर अवगत कराते हुए संज्ञान लेने हेतु धनबाद उपायुक्त को पत्र लिखा है।
पत्र के माध्यम से उन्होंने लिखा है कि प्रायः पांच छः वर्ष से जिला परिषद, नगर निगम, जिला प्रशासन, रेलवे प्रशासन, कोयला भवन हरेक जमीन पर कब्जा करना चाहता है। पर उसे यह ज्ञात नहीं है कि उपायुक्त को विशेष अधिकार भारतीय राजपत्र अधिसूचना के अंतर्गत दिया गया है चाहे वो कहीं के उपायुक्त देश में या धनबाद उपायुक्त ही क्यों ना हो?
उन्होंने शहर में विभिन्न विभागों द्वारा सरोवर, तालाब या जमीन पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की होड़ को लेकर ध्यानाकृष्ट करते हुए उपायुक्त के अधिकारों की व्याख्या करते हुए आगे लिखा है कि राष्ट्रपति एवं राज्य में राज्यपाल हैं जो देश में हरेक तरह के समस्या का समाधान करने हेतु सर्वोत्तम है या फिर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान जज मानकर चलें।
आज प्रायः आमजन की संपत्ति है या कोई नियामक या अंगीभुत इकाई सभी पहलुओं पर आपको न्याय संगत निर्णय लेने का अधिकार है। तो फिर क्यों धनबाद में कभी बेकार बांध राजेन्द्र सरोवर तो कभी पौलिटैकनिक रोड स्थित पंपु तालाब तो कभी गोविंदपुर में तो कभी धैया में तो कभी अन्यत्र समस्या ज़मीन और तालाब की आतीं रहतीं हैं क्या मानभुम जिलें के वक्त सभी पहलुओं पर विचार कर धनबाद जिले को नक्शा और सभी साक्ष्य उपलब्ध नहीं हुए थे?
जो आज प्रायः आमजन को सुविधा के जगह असुविधा हो रही है चाहे वो निगम है जिला प्रशासन है जिला परिषद है कोयल भवन की इकाई है, रेलवे मंत्रालय की इकाई रेलवे है या कोई भु माफिया है वो प्रायः चैन में खलल डाल रहे हैं और आमजन को असुविधा हो रही है। छठ पूजा में शामिल होने पर रोक लगाना दो दिन तालाब और लोको शेड में रेलवे का जबरदस्ती करना समाज हित में सही नहीं है। उन्होंने करबद्ध निवेदन कि हैं कि अविलंब सभी विभागों से बैठक कर छठ पूजा को देखते हुए अग्रेतर परामर्श कर न्यायोचित निर्णय ले।