जमशेदपुर : जिले की उपायुक्त विजया जाधव की पहल पर कल्याण अस्पताल, बनमाकड़ी में प्रसव की सुविधा शुरू कर दी गयी है। कल्याण अस्पताल, बनमाकड़ी का नाम सुनते ही गुड़ाबांदा प्रखंड के लोगों में पहले जहां सही इलाज का अभाव, चिकित्सा कर्मियों का हड़ताल, नियमित अस्पताल का संचालन नहीं होना जैसे भाव आते थे। वहीं उपायुक्त द्वारा किये गए संवेदनशील प्रयास से वहां के लोगों में अब बेहतर इलाज उनके प्रखंड में ही उपलब्ध होने का भाव पैदा हुआ है, शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। शनिवार को जोबा रानी सोरेन, उम्र 22 वर्ष का पहला प्रसव कराया गया जो अर्जुनबेडा गांव की रहने वाली हैं, प्रसव के बाद जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और चिकित्सकों की निगरानी में हैं। प्रसव कराने वाली टीम में डॉ. प्रियंका बासुरी व एएनम ज्योत्स्ना महतो, चूडामणि मुर्मू, उषा रानी बेरा शामिल थे। जन्म के समय बच्चे का वजन 3.2 किग्रा था। उपायुक्त ने बच्चे का नाम उदभव रखने का सुझाव दिया जिसे बच्चे के माता पिता ने सहर्ष स्वीकार किया।
कम समय में सुधरी अस्पताल की व्यवस्था
उपायुक्त ने बहुत कम समय में अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए सिविल सर्जन, बीडीओ गुड़ाबांदा के साथ साथ प्रतिनियुक्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों को पहला प्रसव कराने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि और थोड़े प्रयास से बनमाकड़ी के कल्याण अस्पताल को मॉडल अस्पताल बनाया जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ जुझार माझी बताते हैं कि कल्याण अस्पताल में लचर स्वास्थ्य सुविधा की शिकायत पर उपायुक्त द्वारा इसका रिव्यु किया गया तो एक ही बात सामने आई कि 40-50 हजार की एक बड़ी ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रह जा रही है। कल्याण अस्पताल का संचालन विकास भारती संस्था द्वारा किया जाता है जिसका सरकार के साथ एमओयू है । उपायुक्त द्वारा किये गए रिव्यु में यह बात आई कि अस्पताल का जिस ढंग से संचालन होना चाहिए वो नहीं हो रहा है, साथ ही गुड़ाबांदा में अन्य कोई अस्पताल भी नहीं हैं। उसके बाद अस्पताल की दशा और दिशा को सुदृढ करने के लिए उपायुक्त ने सिविल सर्जन व प्रखंड विकास पदाधिकारी, गुड़ाबांदा को इसका टास्क सौंपा। उपायुक्त द्वारा इस अस्पताल के संचालक संस्था को भी स्पष्ट व सख्त निर्देश दिया गया कि यहां इलाज की स्थिति सुधारें तथा जिला प्रशासन से क्या सहयोग चाहिए वो भी बताएं। अस्पताल का आउटडोर संचालन हो या मेडिसिन डिस्ट्रीब्यूशन तथा अन्य चिकित्सीय उपकरणों को उपलब्ध कराना प्रशासनिक स्तर पर हर संभव सहयोग दिया गया। उपायुक्त के निर्देश पर पूर्व में कार्यरत 2 चिकित्सकों की संख्या को बढ़ाते हुए वर्तमान में 9 चिकित्सक विकास भारती संस्था द्वारा अस्पताल में प्रतिनियुक्त किये गये हैं, जिनमें कुछ नियमित हैं। वहीं कुछ चिकित्सक से एडहॉक पर सेवा ली जा रही। साथ ही 9 एएनएम भी अस्पताल में कार्यरत हैं। एक सप्ताह के भीतर एक ग्यानोकोलॉजिस्ट की प्रतिनियुक्ति को लेकर भी संस्था द्वारा आश्वस्त किया गया है। स्वास्थ विभाग द्वारा प्रसव रूम में प्रतिनियुक्त 5 एएनएम को सदर अस्पताल में एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया गया है साथ ही प्रत्येक माह विशेष स्वास्थ शिविर का आयोजन भी अस्पताल परिसर में किया जा रहा है। जिसमें गर्भवती व धात्री माताओं का एएनसी जांच, हीमोग्लोबिन, सुगर, ब्लड जांच के साथ साथ शिविर में आने वाले अन्य लोगों का आंख, दांत व ईएनटी जांच के अलावा सामान्य रोगों की जांच सुनिश्चित की जा रही है।
प्रखंड विकास पदाधिकारी, गुड़ाबांदा स्मिता नगेशिया कहतीं हैं कि प्रखंड में सीएचसी नहीं होने के कारण यहां के लोगों को किसी इमरजेंसी में आसपास के दूसरे प्रखंड पर निर्भरता थी या कल्याण अस्पताल, बनमाकड़ी ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में अस्पताल का किसी कारणवश सही तरह से फंक्शनल नहीं होना यहां के लोगों के लिए बड़ी समस्या बना हुआ था। चिकित्सीय सुविधाओं को सुदृढ करना बहुत ही जरूरी था जो उपायुक्त की पहल पर हो पाया है।
निःशुल्क मिल रहा सभी चिकित्सीय सुविधाओं का लाभ
प्रसव के साथ साथ सरकारी नियमावली के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रोत्साहन राशि का भुगतान, 108 से मरीजों को अस्पताल लाना- घर पहुंचाना हो या खुद से अस्पताल आने पर सरकार के नियमानुसार 250 रुपये का भुगतान किया जाना, आज गुड़ाबांदा प्रखंड के लोगों को सभी सरकारी सुविधा का भी लाभ अस्पताल पहुंचने पर दिया जा रहा। रोस्टर से 9 चिकित्सकों की ड्यूटी अस्पताल में लगाई जाती है। वहीं किसी इमरजेंसी की स्थिति में टेलीमेडिसिन सेवा का भी लाभ तत्काल जिला के सदर अस्पताल के चिकित्सकों के माध्यम से मरीजों को दिया जाता है।