मिरर मीडिया : खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) ने रविवार को अपना 123वां स्थापना दिवस मनाया। धनबाद स्थित खान सुरक्षा महानिदेशालय के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में खान सुरक्षा महानिदेशक प्रभात कुमार, उनके निदेशक गण सहित तमाम डीजीएमएस के अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद मौजूद रहे। बता दें कि 1902 में खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना की गई थी, जिसका मुख्यालय कोलकाता में था। खान निरीक्षण ब्यूरो का ही बदला रूप डीजीएमएस धनबाद में है।
कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए डीजीएमएस महानिदेशक ने बताया कि खान सुरक्षा महानिदेशालय के प्रयासों का ही फल है कि खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं का दर अब 10वें स्थान से भी नीचे है। उन्होंने कहा कि डीजीएमएस हर साल न सिर्फ हज़ारों मजदूरों की जान बचाती है, बल्कि लाखों टन मिनिरल्स का भी संरक्षण करती है। उन्होंने कहा कि आज देश में खनिज की मांग काफी बढ़ गई है। जिस वजह से प्रोडक्शन भी कई गुणा बढ़ गया है।
उन्होंने धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर मंडराते खतरे को एक बार फिर से दोहराया और कहा कि डीसी रेल लाइन पर खतरा है, रेलवे, बीसीसीएल, आइएसएम आईआईटी और सिम्फ़र जैसी संस्थाए लगातार इसपर अपनी नजर नजर रखे हुए है और इसका रिपोर्ट भी लगातार डीजीएमएस को भेजा जा रहा है। ताकि समय रहते खतरे को देखते हुए सुरक्षात्मक कदम उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस दिशा में बीसीसीएल को भी साफ निर्देश दिए गए है कि वो रेल लाइनों की तरफ कोयला उत्खनन का कार्य नही करेगी।
वहीं इस मौके पर मौजूद कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद ने कहा कि डीजीएमएस एक महान संस्थान है। करीब 1774 से कोल माइनिंग भारत में हो रहा है। ऐसे में पहले कई दुर्घटनाए हुई। जिसको रोकने के लिए 1902 में डीजीएमएस की स्थापना की गई। जिसके बाद से दुर्घटनाओं में काफी कमियां आई है। विकसित राष्ट्रों के तुलना में अब कोल इंडिया कोयले का उत्पादन ज्यादा और सुरक्षित ढंग से कर रहा है। पहले की अपेक्षा अब कोल इंडिया के सभी अंगों में दुर्घटनाए काफी हद तक कम हो गई है।उन्होंने बताया कि 22 सौ हेक्टेयर भूमि पर पौधा रोपण का कार्य भी किया गया है। इसके साथ ही एयरकंडीशनर, एलईडी लाइट वगैरह पर भी कार्य किया जा रहा है, ताकि कार्बन उत्सर्जन को कम कर पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जा सके।