गुरुवार को झारखंड की 108 एम्बुलेंस सेवा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई, जब मनाईटांड़ निवासी 51 वर्षीय विनोद कुमार साव को गंभीर हालत में 7 घंटे तक एम्बुलेंस का इंतजार करना पड़ा।
विनोद साव 2 जून को बेकारबंद के समीप एक सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गए थे। उनके दोनों हाथ और दोनों पैरों में गहरी चोटें आई थीं और उनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई थी।
रांची रेफर के बावजूद नहीं मिली सुविधा
घटना के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए बुधवार रात को ही रांची रेफर कर दिया गया था। परिजनों ने गुरुवार सुबह सुबह 5 बजे से ही 108 एम्बुलेंस सेवा को लगातार कॉल करना शुरू किया, लेकिन हर बार टाल-मटोल और बहानेबाज़ी ही होती रही।
परिजनों का आरोप – “किसी को मरीज की परवाह नहीं”
परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए गहरी नाराजगी जताई। उनका कहना था:
“हम सुबह से ही फोन कर रहे हैं, मगर कभी कहा गया कि एम्बुलेंस व्यस्त है, कभी ड्राइवर नहीं है। मरीज की जान की किसी को कोई फिक्र नहीं। यही हाल रहा तो एक दिन किसी की जान चली जाएगी।”
हालांकि 12 बजे के आसपास एम्बुलेंस पहुँच गई थी।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठा सवाल
इस घटना ने झारखंड की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर कर दी है। सवाल उठ रहा है कि जब एक रेफर मरीज को भी समय पर एम्बुलेंस नहीं मिल पा रही, तो आम लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?