अभिभावक की पॉकेट पर कार्मेल स्कूल का बदला हुआ ड्रेस का फरमान : नीले से चिली रेड हुई ब्लेजर का कलर : सिर्फ एक ही तय दुकान में उपलब्ध : बच्चें ठिठुर कर जाने को विवश

mirrormedia
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मिरर मीडिया : धनबाद शहर का प्रतिष्ठित कार्मेल स्कूल आए दिन विवादों से घिरा रहता है पिछले ही समय में फी एक्सटेंशन के नाम पर अवैध रूप से उगाही करने का मामला सामने आया था जिसमें कुमार मधुरेंद्र ने प्रमुखता से इसकी शिकायत की थी। वहीं एक बार फिर कार्मेल स्कूल विवादों में है। आपको बता दें कि इस बार कार्मेल स्कूल ड्रेस कोड को लेकर चर्चा में है जिसमें पिछले वर्ष ही स्कूल में नीले रंग की ब्लेजर का चलन था पर अचानक नीले से इस वर्ष चिली रेड कर दिया गया है। इस बदलाव से अभिभावक जहाँ अचंभित है वहीं पॉकेट भी ढीली पड़ रही है।

इतना ही नहीं ड्रेस और ब्लेजर सिर्फ एक ही तय दुकान यूनिफॉर्म हाउस में मिलेगी इसके अलावा कोई अन्य दुकान में यह नहीं मिलेगी। यहाँ यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि एक ही तय दुकान में ब्लेजर मिलना स्कूल की साठ गाँठ को उजागर करता है। हालांकि कई अभिभावकों का यह भी कहना है कि अगर ब्लेजर बदलना ही था तो पिछले सत्र में इसकी जानकारी दे देते। अभी कोरोना की मार से ठीक से उबर नहीं पाए कि ये अतिरिक्त बोझ पड़ गया। कोरोना के बाद नीले कलर का ब्लेजर को कई दुकानदारों ने मंगा कर रखा था पर अचानक कार्मेल स्कूल प्रबंधन के द्वारा फरमान जारी किया गया कि ब्लेजर अब चिली रेड कर दिया गया है। और यही पहन कर आना है ऐसे में एकमात्र दुकान यूनिफॉर्म हाउस में ही मिलना और उसपर से कीमत 1500/ के करीब और साइज के अनुसार मूल्य रखा गया है। मोटी कमीशन को सामने लाता है

एक ही दुकान में ब्लेजर मिलने से स्टॉक ख़त्म हो जाने के कारण बच्चें मजबूरन ठीठुर कर जाने को विवश हैं। अगर अन्य दुकानों में इसकी उपलब्धता रहती तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती। वहीं देखा जाए तो यह पूरा मामला अभिभावकों की पॉकेट से पूरी तरह से पैसा लूटने का प्रतीत होता है। अगर ऐसा नहीं है तो स्कूल ये बंदीश नहीं लगाता की सम्बंधित दुकान ही एकमात्र ब्लेजर का विक्रेता है। कुछ भी हो इन सब में केवल अभिभावक ही पिसता नजर आ रहा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला शिक्षा अधीक्षक धनबाद, सभी विद्यालय के प्राचार्य व स्कूल प्रबंधन के साथ हुई बैठक में अभिभावक महासंघ के सदस्यों के द्वारा प्रश्न उठाया गया कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा किसी चिन्हित दुकान से पुस्तक पोशाक तथा अन्य स्टेशनरी सामग्री क्रय करने हेतु बच्चों या अभिभावकों को बाध्य नहीं कर सकते हैं और ना ही विद्यालय परिसर का उपयोग किताब कॉपी का विक्रय या किसी भी प्रकार का व्यवसायिक गतिविधि हेतु किया जा सकता है। झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण द्वारा भी इस संदर्भ में आदेश दिया गया कि विद्यालय प्रबंधन इसके लिए बाध्य नहीं कर सकते पर आलम ये है कि स्कूल की मनमानी चरम पर है।

पूर्व की बैठक में भी इस संदर्भ में निर्णय लिया गया था झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे अभिभावक महासंघ इस बिंदु पर पैनी नजर रखेंगे जो विद्यालय निर्णय आदेश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं उनके संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन जिला स्तर पर गठित RTE CELL को उपलब्ध कराएंगे ताकि उनके विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जा सके।

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