Bihar:बिहार चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग की बड़ी पहल, डोर टू डोर पहुंचेंगे ईसी अधिकारी

Neelam
By Neelam
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हार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि, अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी है। इस बीच निर्वाचन आयोग ने बड़ा दांव चला है। निर्वाचन आयोग ने बिहार को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जिसमें राज्य की मतदाता सूची का घर- घर जाकर सत्यापन होगा। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस सहित उसके दूसरे सहयोगी दलों की ओर से मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए। जिसके बाद चुनाव आयोग ने सतर्कता दिखाई है।

मतदाता सूची की जांच में नहीं रहेगी कोई कसर

बिहार में मतदाता सूची में अधिक सटीकता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग राज्य में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान घर-घर जाकर गहन सत्यापन करने पर विचार कर रहा है। बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची की जांच में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। वे हर घर जाकर सावधानी से जांच करेंगे। इसका मकसद है कि मतदाता सूची में कोई गलती न रहे और यह पूरी तरह से सही हो। चुनाव आयोग चाहता है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो।

जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो सकता है अभियान

आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के शुरू होने वाले पुनरीक्षण शुरू होने वाले अभियान के साथ ही सत्यापन का यह अभियान भी चलेगा। जो जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो सकता है। आयोग वैसे भी मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के अभियान में जुटा रहता है। जिसमें मतदाता सूची से दोहरे नामों को हटाना, मतदाताओं को वोटर लिस्ट में एक ही जगह से अपना नाम दर्ज कराने, मृत मतदाताओं के नामों को पहचान कर तुरंत हटाना और 18 वर्ष का उम्र पूरी करने वाले मतदाताओं को वोटर लिस्ट में तय समय पर शामिल करने जैसी पहल शामिल है।

चुनाव प्रक्रिया पर बढ़ेगा लोगों का भरोसा

इस दौरान बांग्लादेशी व विदेशी घुसपैठियों सहित लंबे समय से राज्य से बाहर रहकर नौकरी या कारोबार कर रहे लोगों की पहचान की जाएगी और उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग का यह कदम बिहार चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। घर-घर जाकर वेरिफिकेशन करने से मतदाता सूची में गलतियों की संभावना कम हो जाएगी। इससे लोगों का चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा बढ़ेगा।

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