Bihar:बिहार SIR मामले में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कहा- काटे गए नाम प्रकाशित करने के लिए बाध्य नहीं

Neelam
By Neelam
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बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि मौजूदा नियमों के मुताबिक उसे ड्राफ्ट सूची में शामिल ना किए गए लोगों के नाम की अलग से लिस्ट जारी करने के बाध्य नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि नियमों के तहत उसे मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों के कारण बताने की भी आवश्यकता नहीं है।

चुनाव आयोग ने आज डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एसोसिएशन (एडीआर) की ओर से दायर हालिया आवेदन पर और दूसरा मुख्य मामले में दो हलफनामे दाखिल किए हैं। इसके साथ ही निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि राज्य में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और सक्षम अधिकारी के तर्कपूर्ण आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने कहा कि हर योग्य मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं और इस दिशा में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।

किस संबंध में चुनाव आयोग ने दिया जवाब

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि उसने मसौदा मतदाता सूची राजनीतिक दलों के साथ शेयर की गई है। निर्वाचन आयोग ने बताया कि जिन व्यक्तियों को मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया है, उनके पास शामिल किए जाने के लिए घोषणा पत्र प्रस्तुत करने का विकल्प है। निर्वाचन आयोग एडीआर द्वारा दायर उस आवेदन का विरोध किया है, जिसमें मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की सूची प्रकाशित करने और उन्हें शामिल न किए जाने के कारण बताने की मांग की गई है।

चुनाव आयोग ने और कहा कहा?

आयोग ने बताया कि 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों ने अपने नामों की पुष्टि या फॉर्म जमा किए. इसके लिए बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 BLO, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रहे। राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची दी गई ताकि समय रहते नाम जोड़े जा सकें। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा है। शहरी निकायों में विशेष कैंप, युवाओं के पंजीकरण के लिए अग्रिम आवेदन की व्यवस्था की है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और कमजोर वर्गों की मदद के लिए 2.5 लाख स्वयंसेवक तैनात किए है। किसी भी नाम को प्रारूप सूची से हटाने से पहले नोटिस, सुनवाई और सक्षम अधिकारी का कारणयुक्त आदेश अनिवार्य है। 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि, इसके लिए ऑनलाइन और प्रिंट कॉपी उपलब्ध है। आयोग ने कहा कि हर योग्य मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं और इस प्रक्रिया पर रोजाना प्रेस विज्ञप्ति के जरिए जनता को जानकारी दी जा रही है।

बता दें कि डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एसोसिएशन(एडीआर) ने गलत तरीके से 65 साख मतदाताओं को बाहर करने का आरोप  लगाया है। 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इस मामले में अब 13 अगस्त को सुनवाई होनी है। 

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