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मनाया गया ‘किसान मजदूर एकता दिवस’, केंद्र सरकार की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी, 16 फरवरी को करेंगे विरोध-प्रदर्शन

जमशेदपुर : शुक्रवार को साकची जुबिली पार्क गेट के सामने केंद्रीय कार्यक्रम के तहत सीटू और किसान सभा के सदस्यों ने ”किसान मजदूर एकता दिवस’ मनाया। जिसमें सदस्यों ने 21 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। 21 सूत्री मांगों में ‘चार श्रम संहिताओं को रद्द करना, न्यूनतम वेतन 26000 रुपए प्रति माह, पुरानी पेंशन योजना लागू करना, ठेका, अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कानूनी और सामाजिक सुरक्षा और समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना, सार्वजनिक उद्यमों और सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करना, स्वीकृत रिक्त पदों पर अविलंब नियुक्ति, रोजगार सृजन व शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम सुनिश्चित करना, मनरेगा योजना के तहत प्रतिवर्ष 200 दिन काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी, बीज, उर्वरक, बिजली पर पर्याप्त सब्सिडी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करना, किसानों के लिए ऋण माफी और वृद्धावस्था पेंशन सुनिश्चित करना, वन अधिकार अधिनियम सख्ती से लागू करना, कर और शुल्कों को कम करने सहित प्रभावी कदम उठाकर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी सुनिश्चित करना आदि शामिल है। वही 16 फरवरी को केंद्र सरकार की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ एक बार फिर विरोध प्रदर्शन होगा। इसे लेकर सीटू के महासचिव विश्वजीत देब ने बताया कि आजादी के बाद मजदूरों और किसानों के पहले संयुक्त कार्यक्रम की 42वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आज पूरे देश के साथ कोल्हान क्षेत्र में भी सीटू और किसान सभा के सदस्यों ने ‘किसान मजदूर एकता दिवस’ मना रहे हैं। 42 साल पहले 19 जनवरी 1982 को मजदूर, किसान और खेतीहर मजदूरों वर्ग के मांगों के साथ दयनीय अस्तित्व में जी रहे जनता के सभी तबक़ों के जीवन और आजीविका संबंधित मांगों को लेकर स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसान और मजदूर एक दिन की देशव्यापी आम हड़ताल में शामिल हुए थे। 19 जनवरी 1982 की आम हड़ताल के दौरान देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ग्रामीण हड़ताल, सड़क-नाकाबंदी, प्रदर्शनी आदि के माध्यम से देश भर में किसानों और मजदूरों की सक्रिय लामबंदी हुई थी। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर क्रूर पुलिस दमन और गोलीबारी किसनों और श्रमिकों के 10 मूल्यवान जीवन को छीन लिया था। आज 42 साल बाद एक बार फिर किसान-मजदूर आम जनता के जीवन और आजीविका पर गंभीर हमलों के खिलाफ संघर्ष के रास्ते पर है। ‘केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और राष्ट्रीय फेडरेशन’ के मंच और ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने निर्णय लिया है कि चल रहे संयुक्त संघर्ष के अगले चरण के तहत जनता के ज्वलंत मुद्दे संबंधित 21 बिंदु मांगों पर गहन जनसंपर्क करते हुए आगामी 16 फरवरी 2024 को उसी तरह का ग्रामीण, शहरी और औद्योगिक क्षेत्र में आंदोलनकारी कार्यक्रम होगा। जो वर्तमान केंद्र सरकार को अपनी विनाशकारी नीति को बदलने के लिए अंतिम चेतावनी होगी। कार्यक्रम में केके त्रिपाठी, लोटन दास, विश्वजीत देब, जेपी सिंह, जे मजूमदार, गुप्तेश्वर सिंह, संजय कुमार, पी गुप्ता एल गांगुली, केपी सिंह, विमान चटर्जी, एस उपाध्याय, डी सेन, टी मुखर्जी आदि नेता मौजूद रहे।

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