Dhanbad में विगत दिनों सदर अस्पताल के कुपोषण केंद्र पर टाटा समूह के प्रतिनिधि द्वारा आरोप लगाए गए थे कि सिस्टर द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है साथ ही दूध नहीं मिलता है एवं कई तरह के आरोप लगाए थे जिसके बाद मामला सुर्खियों में आया था और सिविल सर्जन ने जांच के निर्देश दिए थे वही नोडल पदाधिकारी डॉक्टर राजकुमार ने कर्मियों को शो कॉज भी किया था और जांच कमिटी गठित कर दी थी।
शिकायतकर्ता ने वापस ले ली अपनी शिकायत : कहा भूल से हो गई थी शिकायत
वहीं अब इस मामले में ट्विस्ट आ गया है शिकायतकर्ता टाटा समूह के प्रतिनिधि ने अपनी शिकायत वापस ले ली है और नोडल पदाधिकारी से कहा है कि भूल वश शिकायत हो गई थी ऐसी कोई बात नहीं है बच्चों को सभी सुविधाएं मिली है।
शिकायतकर्ता से किसी ने साजिश के तहत लगवाए थे सारे आरोप
यहां बता दे की शिकायत के बाद मामला तूल पकड़ा था और नोडल पदाधिकारी डॉ राजकुमार ने हर एक बच्चों के घर जाकर जांच करने की बात कही थी साथ ही दूध जहां से आते हैं उसके नमूने भी लेकर जांच करने की बात कही थी जिसके बाद शिकायतकर्ता सकते में आ गया था क्योंकि शिकायतकर्ता से किसी ने साजिश के तहत सारे आरोप लगवाए थे लेकिन जैसे ही जांच की बात सामने आई शिकायतकर्ता माफी मांगने लगा और अपनी गलती स्वीकार ली। मंगलवार को डॉक्टर राजकुमार के पास टाटा समूह ग्रुप के लोग आए और शिकायत वापस लेने की बात कही उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है व्यवस्थाएं सभी सही थी आवेश में आकर शिकायत की गई है।
डॉक्टर राजकुमार ने कहा सदर अस्पताल को बदनाम करने की साजिश
यहां बता दे की टाटा समूह के NGO द्वारा कुपोषण केंद्र में कुपोषित बच्चों को एडमिट किया गया था करीब 10 दिन तक सभी बच्चे रहे थे डिसचार्ज के दिन कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा कई तरह के आरोप लगाए गए थे जिसके बाद यह सवाल उठने लगा था कि 10 दिनों से जब यहां बच्चे रह रहे थे तो शिकायत क्यों नहीं गई थी। इसके बाद से ही मामला तूल पकड़ने लगा था हालांकि शिकायत वापस लेने के बाद डॉक्टर राजकुमार ने भी कहा कि इस मामले में जांच कर ली गई है कहीं से कोई अनियमितता नहीं थी जानबूझकर सदर अस्पताल को बदनाम करने की साजिश रची जा रही थी।
शिकायतकर्ता द्वारा आरोप लगाकर शिकायत वापस लेने के पीछे कहीं राजनीति की बू तो नहीं
बहरहाल जिस तरह से शिकायतकर्ता आरोप लगाकर शिकायत वापस ले रहे हैं ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति होगी कि अस्पताल में भी अब राजनीति शुरू होने लगी हैं अब इस राजनीति के पीछे किसका हाथ है यह समझ से परे है लेकिन राजनीति के चक्कर में कहीं अस्पताल की व्यवस्था न चरमरा जाए इसका प्रबंधन को ख्याल रखना पड़ेगा।