देशभर में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का शुभ पर्व 27 अगस्त से आरंभ होकर 6 सितंबर तक चलेगा। दस दिनों तक चलने वाला यह पर्व पूरे देश को भक्तिमय माहौल में डूबो देता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और शुभ भाग्य के देवता भगवान गणेश की उपासना का विशेष दिन है। मान्यता है कि इस दिन उनकी आराधना करने से जीवन से सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
गणेश जी के जन्म की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान से पूर्व अपने शरीर के उबटन से एक बालक की रचना की और उसे द्वार पर पहरा देने के लिए बैठा दिया। उसी दौरान भगवान शिव घर आए और प्रवेश करना चाहा, लेकिन बालक ने उन्हें रोक दिया। क्रोधित होकर शिवजी ने उसका सिर काट दिया। पार्वती के दुख से व्याकुल होकर शिवजी ने हाथी के बच्चे का सिर उस बालक पर लगा दिया और उसे पुनर्जीवित कर “गणेश” नाम दिया। साथ ही यह वरदान भी दिया कि संसार में किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा होगी।
कहाँ और कैसे मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
हालाँकि गणेश चतुर्थी पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन इसकी सबसे भव्य झलक महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में देखने को मिलती है। जगह-जगह भव्य पंडाल सजाए जाते हैं, गणपति बप्पा की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और दस दिनों तक आरती, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
उत्सव का समापन
गणेश चतुर्थी के अंतिम दिन यानी अनंत चतुर्दशी को श्रद्धालु “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के जयकारों के साथ गणेश प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। यह दृश्य भक्तों की आस्था और भावनाओं का अद्भुत संगम होता है।