दिवाली मनाने आज धरती पर उतरेंगे देवता : देव दीपावली पर लाखों दीप से जगमगाएंगे घर आँगन

KK Sagar
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वाराणसी, 5 नवंबर: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज देव दीपावली का त्योहार पूरे देश में हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं स्वर्ग से उतरकर धरती पर दिवाली मनाते हैं, इसलिए इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। तभी से देव दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हुई। विशेष रूप से काशी (वाराणसी) में यह पर्व दिव्य रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस रात देवता स्वयं गंगा के घाटों पर उतरकर दीपदान करते हैं।

🌕 शुभ मुहूर्त

देव दीपावली की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर रात 10:36 बजे से हुई थी, जो आज 5 नवंबर शाम 6:48 बजे तक रहेगी।
प्रदोष काल में पूजा और दीपदान का विशेष महत्व होता है।
🕓 प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 5:15 बजे से रात 7:50 बजे तक।
इसी समय दीपदान और भगवान की आराधना सबसे शुभ मानी जाती है।

🪔 पूजा विधि

सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। यदि संभव हो तो गंगा स्नान करें, अन्यथा घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
घर और मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
फिर भगवान शिव, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा करें।
प्रदोष काल में दीपक जलाएं और घर, आंगन, मुख्य द्वार और गंगा तट पर दीपदान करें।

पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप शुभ फलदायक माना गया है –
🕉️ “ओम नमः शिवाय”
🕉️ “ओम नमो भगवते रूद्राय”
🕉️ “ओम लक्ष्मी नारायणाय नमः”

✨ काशी में दिव्य आलोक

वाराणसी के अस्सी, दशाश्वमेध और पंचगंगा घाटों पर आज लाखों दीपों की रौशनी से गंगा तट जगमगा उठा है। आरती, भजन और मंत्रोच्चारण से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया है।
देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस दिव्य दृश्य को निहारने के लिए घाटों पर उमड़ पड़े हैं।

देव दीपावली के इस शुभ अवसर पर आइए, घर-आंगन में दीप जलाकर देवताओं का स्वागत करें, क्योंकि आज धरती पर उतरकर दिवाली मनाने आए हैं देवता। 🌸

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