डिजिटल डेस्क/ जमशेदपुर : भारतीय रेलवे ने अपने कर्मचारियों और ठेका श्रमिकों की पहचान प्रणाली को आधुनिक बनाते हुए एक बड़ा बदलाव किया है। रेलवे बोर्ड ने ‘नई आइडेंटिटी कार्ड नीति’ जारी करते हुए देशभर के सभी जोनल रेलवे में अब कागज के लैमिनेटेड कार्ड की जगह हाईटेक स्मार्ट कार्ड लागू करने का आदेश दिया है। इस कदम का उद्देश्य कर्मचारियों की पहचान में एकरूपता लाना और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है।
जारी आदेश के अनुसार अब नियमित रेल कर्मचारियों के लिए पीले रंग का स्मार्ट कार्ड निर्धारित किया गया है, जबकि आउटसोर्सिंग या ठेका कर्मियों को अलग पहचान देने के लिए नारंगी रंग का कार्ड जारी किया जाएगा।
नए पहचान पत्र की सबसे बड़ी विशेषता इसमें लगा क्यूआर कोड है। इस कोड को स्कैन करते ही अधिकारी के मोबाइल स्क्रीन पर कर्मचारी का पूरा प्रोफाइल आ जाएगा। नियमित कर्मचारियों के कार्ड में नाम, पदनाम, पोस्टिंग की जगह, आधार नंबर, और सेवानिवृत्ति की तारीख जैसी महत्वपूर्ण जानकारी डिजिटल रूप में दर्ज होगी।
ठेका कर्मियों के नारंगी कार्ड के क्यूआर कोड में अतिरिक्त सुरक्षा फीचर्स हैं, जिनमें पुलिस वेरिफिकेशन की तारीख, संबंधित एजेंसी का ब्योरा और आधार संख्या शामिल है।
कार्ड की संख्या भी विशिष्ट और सुरक्षित होगी। प्रत्येक कर्मचारी का आईडी नंबर 12 अंकों का होगा। पहले दो अंक कार्ड जारी होने का साल, अगले दो अंक रेलवे जोन का कोड (जैसे दक्षिण पूर्व रेलवे के लिए 12), उसके बाद के दो अंक मंडल या वर्कशाप के और अंतिम छह अंक व्यक्तिगत सीरियल नंबर होंगे। इस यूनिक नंबर से किसी भी कर्मचारी की सर्विस हिस्ट्री आसानी से ट्रैक की जा सकेगी। ठेका कर्मियों के नारंगी कार्ड पर बड़े अक्षरों में ‘कांट्रैक्ट’ भी लिखा होगा और इसकी वैधता अधिकतम एक वर्ष होगी।

