डिजिटल डेस्क। कोलकाता : ऐतिहासिक हावड़ा ब्रिज, जिसे रवींद्र सेतु के नाम से भी जाना जाता है, जल्द ही सौर ऊर्जा से संचालित अत्याधुनिक रोशनी से जगमगाएगा। मंगलवार को कोल इंडिया लिमिटेड और श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता ने कोल भवन में एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह परियोजना सीआइएल की स्वर्ण जयंती कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इस प्रतिष्ठित पुल की दृश्यता और सौंदर्य को बढ़ाते हुए इसके ऐतिहासिक महत्व को और उजागर करना है।
बनेगा आकर्षण का नया केंद्र : हावड़ा ब्रिज, जो 1943 में खुला, न केवल कोलकाता का गौरव है, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े कैंटिलीवर पुलों में से एक है। 2,150 फीट लंबा, 70.9 फीट चौड़ा और 269 फीट ऊंचा यह पुल हुगली नदी पर एक महत्वपूर्ण परिवहन कड़ी है। रोजाना करीब एक लाख वाहन और 1.5 लाख पैदल यात्री इस पुल से गुजरते हैं, जिससे यह भारत के सबसे व्यस्त पुलों में शुमार है। लेकिन अब, यह केवल एक परिवहन मार्ग नहीं, बल्कि रात में एक चमकता हुआ लैंडमार्क भी बनने जा रहा है।
सीआइएल और एसएमपीके की इस साझेदारी का लक्ष्य पुल की मौजूदा प्रकाश व्यवस्था को आधुनिक बनाना है। इसमें वाल्यूमेट्रिक और स्केलेटन लाइटिंग के साथ अपग्रेड करने की योजना है, जो न केवल पुल की संरचना को उभारकर प्रस्तुत करेगी, बल्कि इसे एक जीवंत दृश्य अनुभव में भी बदलेगी। खास बात यह है कि रोशनी को संगीत के साथ समन्वित किया जाएगा, जिससे विशेष अवसरों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान गतिशील प्रकाश प्रदर्शन संभव हो सकेगा। सौर ऊर्जा का उपयोग इस परियोजना को पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ बनाएगा, जो आधुनिक तकनीक और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन का प्रतीक है।
हावड़ा ब्रिज कोलकाता की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है। 82 साल पहले निर्मित यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि शहर की जीवंतता और इसके लोगों के दैनिक जीवन का भी हिस्सा है। इसकी भव्य संरचना को रात में और अधिक आकर्षक बनाने के लिए यह परियोजना एक मील का पत्थर साबित होगी। सीआइएल के अध्यक्ष पीएम प्रसाद ने इस अवसर पर कहा, ‘हावड़ा ब्रिज केवल एक ढांचा नहीं, बल्कि कोलकाता की आत्मा है। हमारी स्वर्ण जयंती सीएसआर पहल के तहत इस परियोजना के माध्यम से हम इस ऐतिहासिक संरचना को नई चमक देना चाहते हैं, जो पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगी।’ वहीं, एसएमपीके के अध्यक्ष रथेंद्र रमन ने जोड़ा, ‘यह परियोजना न केवल पुल की कार्यक्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि इसे एक सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित करेगी।’
शहर के लिए एक नया उपहार
यह परियोजना कोलकाता के निवासियों और पर्यटकों के लिए एक विशेष उपहार होगी। गतिशील प्रकाश व्यवस्था विशेष अवसरों, जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के दौरान पुल को और आकर्षक बनाएगी। सौर ऊर्जा का उपयोग न केवल ऊर्जा खपत को कम करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि यह परियोजना दीर्घकालिक और पर्यावरण के लिए लाभकारी हो।
यह पहल केवल तकनीकी उन्नति तक सीमित नहीं है। यह कोलकाता की प्रगति, परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन का प्रतीक है। हावड़ा ब्रिज, जो पहले से ही शहर का गौरव है, अब रात में एक नई कहानी कहेगा-एक ऐसी कहानी जो इतिहास, संस्कृति और टिकाऊ भविष्य को एक साथ जोड़ेगी। सीआइएल और एसएमपीके की इस साझेदारी से न केवल हावड़ा ब्रिज की चमक बढ़ेगी, बल्कि यह कोलकाता के लोगों के लिए गर्व का एक नया कारण भी बनेगी। जैसे-जैसे यह परियोजना आकार लेगी, कोलकाता की रातें और अधिक रोशन और यादगार होने वाली हैं।