मिरर मीडिया : 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी से टक्कर लेने के लिए विपक्ष की इंडिया गठबंधन ने अपने PM पद के लिए चेहरा ढूंढ लिया है और इसकी घोषणा भी कर दी है। बता दें कि INDIA गठबंधन की चौथी बैठक दिल्ली में हुई। इससे पहले PM के चेहरे पर विपक्षी गठबंधन अलग-अलग राग अलाप रहे थें। नेता जब दिल्ली के अशोका होटल में मिले तो लगा जैसे सारे गिले-शिकवे दूर हो गए। यहां 28 दलों के नेता पहुंचे थे। इनके बीच शीट शेयरिंग फार्मूले, संसद सदस्यों का निलंबन, गठबंधन का चुनावी अभियान समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि सबसे ज्यादा फोकस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे रहे। विपक्षी गठबंधन ने उन्हें पीएम फेस बनाने का प्रस्ताव दिया।
इंडिया गठबंधन की बैठक में पीएम फेस के लिए खरगे का नाम सबसे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने प्रस्तावित किया। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसका समर्थन किया। बात आगे बढ़ती इससे पहले खरगे ने खुद ये कह दिया कि पहले हमारा लक्ष्य चुनाव जीतना है, फिर पीएम पद के बारे में सोचा जाएगा। बेशक खरगे ने अपने बयान से पीएम फेस को लेकर लग रही अटकलों को साधने की कोशिश की, लेकिन बैठक में ये चर्चा होना ही बड़ा संदेश दे गया।
दलित वोट बैंक को साधने के लिए भी खरगे को PM का चेहरा बनाया गया है। देश में 16.6 प्रतिशत यानी 20 करोड़ से ज्यादा दलित आबादी है, देश की 84 सीटों पर जीत या हार दलित वोट बैंक ही तय करता है। कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे सबसे बड़ा दलित चेहरा हैं। यदि विपक्षी गठबंधन की बात करें तो खरगे के कद वाला कोई दलित चेहरा नहीं है। कांग्रेस में जब अध्यक्ष पद की बात आई थी तब भी खरगे को दलित चेहरे के तौर पर ही चुना था। विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को इसका फायदा मिला था। खासतौर से कर्नाटक में दलित वोट बैंक थोक के भाव में कांग्रेस के खाते में गया था। यानी जातीय समीकरण के लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस और गठबंधन दलों के पास खरगे सबसे प्रभावशाली चेहरा हैं।
विपक्षी दलो में सबसे पहले कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के नाम की ही दावेदारी की गई थी, लेकिन राहुल के नाम पर विपक्षी दल एकजुट नहीं नहीं आए। इसके बाद नीतीश कुमार का नाम उछला, ममता बनर्जी, शरद पवार समेत कई वरिष्ठ नेताओं के नाम सामने आए, लेकिन हर नेता के नाम पर दूसरा नेता अपने हाथ पीछे खींच रहा था। गठबंधन में सबसे बड़ा दल कांग्रेस ऐसे में पीएम कांग्रेस से होना चाहिए, ये देखते हुए शशि थरूर ने खरगे का नाम आगे बढ़ाया था। ये नाम कांग्रेस के लिए फायदेमंद इसलिए भी है, क्योंकि खरगे कांग्रेस का चेहरा हैं और नॉन गांधी मेंबर भी है ऐसे में गठबंधन दलों को खरगे के नाम पर ऐतराज होने के चांस न के बराबर ही हैं।