मिरर मीडिया : सितंबर माह में होने वाले जी –20 सम्मेलन को लेकर सभी भारतीयों में काफ़ी उत्साह हैं। यह पहला मौका होगा जब विश्व के इतने शक्तिशाली देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक साथ भारत में आएंगे । केवल भारतीए लोगों कि ही नही बल्कि विश्व के सभी लोगो की नज़र इस सम्मेलन पर बनी रहेंगी । जो अपने आप में सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात हैं ।
आपको बता दे की इस बार का जी –20 सम्मेलन थोड़ा अलग होने वाला है। भारत ने इस सम्मेलन को लेकर बड़े क़दम उठाए है इस बार का सम्मेलन केवल रूस –यूक्रेन के युद्ध पर केंद्रित नहीं रहेगा ।
यहां तक कि यूरोपीय देशों के इतने दबाव के बावजूद भारत ने यूक्रेन को इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित नही किया ।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मेलन से पहले सभी सदस्य देशों के सामने लिखित रूप से अफ़्रीकी यूनियन को जी –20 ग्रुप का सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा है। भारत का कहना है कि अब जी –20 को जी – 21 करने का वक्त आ गया है।
वर्तमान में जी –20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है।
गौरतलब है कि जी –20 ग्रुप में अफ्रिका महाद्वीप का मात्र एक देश दक्षिण अफ्रिका शामिल है । इसी क्रम में भारत का पक्ष है कि अफ्रीका जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है जिसकी भागीदारी किसी भी संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अफ़्रीकी यूनियन में लगभग 54 देश शामिल हैं जो जी – 20 ग्रुप को नई ऊंचाईयों तक पहुंचा सकते है।