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भारत ने पाकिस्तान को दिखाई उसकी औकात : 5 तरफ से घेराबंदी, पानी से वीज़ा तक सब बंद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज शाम सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की एक आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले की विस्तृत समीक्षा की गई। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों सहित एक नेपाली नागरिक की जान चली गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

बैठक में CCS ने इस वीभत्स आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की। समिति ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस हमले के पीछे सीमा पार स्थित आतंकवादी संगठनों की भूमिका सामने आई है, जो एक बार फिर पाकिस्तान के संदिग्ध इरादों को दर्शाती है।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, CCS ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए पांच अहम निर्णय लिए हैं:


1. सिंधु जल संधि को स्थगित किया गया

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को पूरी तरह से समाप्त नहीं करता। भारत का यह कदम संकेत देता है कि अब पानी को लेकर भी सख्त नीति अपनाई जाएगी।


2. अटारी एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) बंद किया जाएगा

पंजाब के अटारी में स्थित ICP को तत्काल प्रभाव से बंद करने का फैसला लिया गया है। हालांकि, जो पाकिस्तानी नागरिक वैध वीजा के माध्यम से भारत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें 1 मई 2025 से पहले अटारी मार्ग के जरिये भारत छोड़ने की अनुमति दी जाएगी।


3. पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SVEVS वीजा योजना रद्द

पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (SVEVS) को स्थगित कर दिया गया है। इसके अंतर्गत जारी किए गए सभी वीजा रद्द माने जाएंगे। वर्तमान में भारत में SVEVS के तहत मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।


4. पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित किया गया

नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा/नौसेना/वायु सलाहकारों को अवांछित शख्स घोषित किया गया है। उन्हें भारत छोड़ने के लिए 1 सप्ताह का समय दिया गया है। इसके साथ ही, भारत भी इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से रक्षा से जुड़े सभी सलाहकारों को वापस बुलाएगा। इन पदों को दोनों देशों के उच्चायोगों में निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही, इन अधिकारियों के साथ कार्यरत पांच-पांच सहायक कर्मचारियों को भी भारत और पाकिस्तान दोनों से वापस बुलाया जाएगा।


5. उच्चायोगों की कुल संख्या में कटौती

भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में कार्यरत कुल कर्मचारियों की संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 किया जाएगा। यह संख्या 1 मई 2025 तक और कम की जाएगी। यह कदम दोनों देशों के राजनयिक संपर्कों को सीमित करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।


सरकार का सख्त संदेश

इन फैसलों से स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद को लेकर और अधिक सहनशील नीति अपनाने को तैयार नहीं है। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद का समर्थन नहीं रोकता, तब तक भारत कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक मोर्चों पर दबाव बनाता रहेगा।

KK Sagar
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