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अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर को मिलेगा पहला मुख्यमंत्री : उमर अब्दुल्ला लेंगे शपथ

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बड़ी जीत दर्ज की है। इसके परिणामस्वरूप, बुधवार को उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इससे पहले भी उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन तब यह एक राज्य हुआ करता था। अब, केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद, वे यहां के पहले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

उमर अब्दुल्ला बनेंगे जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री, शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां पूरी

शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में होगा, जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाएंगे, साथ ही कुछ विधायकों को मंत्री पद की शपथ भी दिलाई जाएगी। इस मौके पर सुरक्षा व्यवस्था को काफी पुख्ता किया गया है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

इन नेताओं को भेजा गया निमंत्रण

शपथ ग्रहण समारोह में प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने देशभर के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं को निमंत्रण भेजा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को भी शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया गया है।

सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद

शपथ ग्रहण समारोह के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर और उसके आस-पास सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। समारोह के दौरान विशेष सुरक्षा उपायों के तहत वीआईपी मेहमानों के आगमन और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया है। समारोह में उपस्थित लोगों और मीडिया के लिए भी अलग से व्यवस्थाएं की गई हैं।

उमर अब्दुल्ला की वापसी

उमर अब्दुल्ला का जम्मू-कश्मीर की राजनीति में फिर से मुख्यमंत्री पद पर आना उनके और उनकी पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। वे पहले भी 2009 से 2015 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार उनकी वापसी एक अलग ऐतिहासिक संदर्भ में हो रही है, क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर एक राज्य नहीं, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की यह जीत उन लोगों के लिए एक बड़ा संदेश है जो अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यहां की राजनीतिक स्थिति को लेकर सवाल उठा रहे थे।

गौरतलब है कि इस शपथ ग्रहण समारोह को लेकर जम्मू-कश्मीर में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत मानी जा रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की इस जीत से स्पष्ट है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद भी पार्टी का जनता में मजबूत जनाधार बना हुआ है। उमर अब्दुल्ला की नेतृत्व क्षमता और उनकी पार्टी की रणनीति ने उन्हें एक बार फिर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचा दिया है।

KK Sagar
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