Homeराज्यJamshedpur Newsजमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी को भारतीय विश्वविद्यालय संघ की मिली सदस्यता

जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी को भारतीय विश्वविद्यालय संघ की मिली सदस्यता

जमशेदपुर : 7 फरवरी 2023 को संपन्न हुई भारतीय विश्वविद्यालय संघ-एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआइयू) की बैठक में जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी को संघ की सदस्यता प्रदान कर दी गयी। एआइयू द्वारा यूनिवर्सिटी को इस आशय का पत्र भेजा गया है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉ. सुशील कुमार तिवारी ने बताया कि पिछले वर्ष यूनिवर्सिटी ने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया। कुलपति एआइयू की सदस्यता के लिए शुरू से ही प्रयासरत रही। इसके लिए सर्वप्रथम आवश्यक शर्तों को पूरा किया गया। इस कड़ी में पहले यूजीसी की 2(f) की श्रेणी प्राप्त की गई और अन्य सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद एआइयू की सदस्यता के लिए यूनिवर्सिटी ने आवेदन किया और यूनिवर्सिटी अब एआइयू की एक सदस्य है।

प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता ने कहा कि यूनिवर्सिटी को भारतीय विश्वविद्यालय संघ की सदस्यता मिलना एक सम्मान की बात तो है ही, साथ ही एक और उपलब्धि यह है कि हमारी छात्राओं को ज्यादा से ज्यादा एकेडमिक और कोक्युरिकुलर एक्सपोज़र मिलेगा, विदेशों में उच्च शिक्षा या कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए या भारतीय संस्थाओं से भी शोधकार्य करना हो, ऐसी किसी तरह के फंडिंग में आसानी होगी। झारखंड की बालिकाओं को स्पोर्ट्स में महारत हासिल है, अब यूनिवर्सिटी किसी भी स्पोर्ट्स मीट या विभिन्न स्पर्धाओं में अपनी स्वतंत्र टीम भेज सकती है। इससे हमारी छात्राओं को अपनी यूनिवर्सिटी के साथ अलग पहचान मिलेगी। हमारे फैकल्टीज भी कैपेसिटी बिल्डिंग के विभिन्न आयामों पर कार्य कर सकते हैं और फंडिंग की सम्भावना अब ज्यादा है। एआइयू की सदस्यता विदेशी शैक्षिक संस्थाओं से एमओयू या अन्य तरह के कोलैबोरेशन में और एनइपी- 2020 के द्वारा दिए गए ‘शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी बड़ी भूमिका निभा सकती है। केंद्र और राज्य सरकार तक हमारी बात पहुंचने के अलावा इसके अलावा यूनिवर्सिटी की शिक्षण पद्धति, परीक्षा, अनुसंधान, पाठ्यपुस्तकों, प्रकाशनों, पुस्तकालय और संस्था के विभिन्न आयामों को अपडेट करने और उच्चस्तरीय बनाने में यह सदस्यता मदद करेगी, जो ज्ञान के विकास और प्रसार में योगदान देगी।

भारतीय विश्वविद्यालय संघ का स्वरूप
एआइयू भारतीय विश्वविद्यालयों की सदस्यता के साथ सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत संघ है। यह सदस्य विश्वविद्यालयों के प्रशासकों और शिक्षाविदों के विचारों का आदान-प्रदान करने और सामान मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह उच्च शिक्षा में सूचना विनिमय ब्यूरो के रूप में कार्य करता है और “यूनिवर्सिटीज़ हैंडबुक”, शोध पत्रों और “यूनिवर्सिटी न्यूज” नामक एक साप्ताहिक पत्रिका सहित कई उपयोगी प्रकाशनों को सामने लाता है।
एसोसिएशन की वर्तमान सदस्यता 527 है जिसमें सात सहयोगी सदस्य शामिल हैं। ये हैं- काठमांडू विश्वविद्यालय, काठमांडू, नेपाल, मॉरीशस विश्वविद्यालय, मॉरीशस, प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मॉरीशस, रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान, थिम्पू, मलेशिया के ओपन यूनिवर्सिटी, कुआलालंपुर, मलेशिया, मध्य पूर्व विश्वविद्यालय, यूएई, और सेमी स्टेट मेडिकल विश्वविद्यालय, सेमी, कजाकस्तान।

सदस्यता से यूनिवर्सिटी को होंगे कई लाभ
यूनिवर्सिटी के लिए यह सरकार (केंद्रीय और साथ ही राज्य सरकारों) के बीच एक संपर्क के रूप में कार्य करेगा और सामान्य हितों के मामलों में अन्य विश्वविद्यालयों या निकायों (राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय) के साथ सहयोग प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेगा। भारत या विदेश में विश्वविद्यालयों के बीच छात्र गतिशीलता और शिक्षण और शोध कर्मचारियों के सदस्यों के आदान-प्रदान, बुनियादी ढांचे, संयुक्त शोध परियोजनाओं और प्रकाशनों को साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय को भारतीय और विदेशी अन्य विश्वविद्यालयों से उनकी डिग्री, डिप्लोमा और परीक्षाओं के लिए मान्यता प्राप्त करने में सहायता प्रदान करना, उच्च शिक्षा से संबंधित विभिन्न विषयों पर सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, व्याख्यानों और अनुसंधान को शुरू करना, आयोजित करना और सुविधा प्रदान करेगा। एआइयू सदस्य-विश्वविद्यालयों के बीच खेलों को बढ़ावा देने और खेलों में मानकों को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय खेल संवर्धन संगठन-नेशनल स्पोर्ट्स प्रमोशन आर्गेनाईजेशन (NSPO) के रूप में कार्य करता है, इससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप प्रतियोगिताओं में यूनिवर्सिटी की खेलों में भागीदारी बढ़ेगी और खेल के बुनियादी ढांचे में सुधार में भी मदद मिलेगी।

अनुसंधान में तेजी और गुणवत्ता बढ़ेगी
एआइयू में इसके लिए एक अनुसंधान प्रभाग (रिसर्च डिवीज़न) है जो प्रोजेक्ट हासिल करने में मदद करती है। यह एआईयू के सबसे गतिशील और जीवंत प्रभागों में से एक है, जिसने देश की उच्च शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण शैक्षणिक योगदान देकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 1975 में तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की वित्तीय सहायता से अनुसंधान प्रकोष्ठ के रूप में स्थापित, उच्च शिक्षा के विकास में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने का जनादेश है। 1993 में अनुसंधान प्रभाग में पदोन्नत होने के बाद, इसने उच्च शिक्षा के समुदाय को उभरती चिंता के मुद्दों और नीतियों पर बहस करने और उच्च शिक्षा पर नीतिगत ढांचे को समृद्ध करने के लिए भारत सरकार को अनुसंधान आधारित सिफारिश प्रदान करने के लिए एक बौद्धिक मंच प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार कर लिया। कई विषयों के प्रोजेक्ट अब यूनिवर्सिटी में भी चल सकते हैं। इससे यहां की छात्राओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

अंतर्राष्ट्रीयकरण को मिलेगा बढ़ावा
एआईयू में वर्ष 2000 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकोष्ठ (इंटरनेशनल सेल) की स्थापना की गई थी। यह उच्च शिक्षा के वैश्वीकरण, अंतर्राष्ट्रीयकरण को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से छात्र-छात्राओं व फैकल्टीज के लिए अनुसंधान और तकनीकी कर्मचारियों के आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं, आपसी साझेदारी के साथ अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने पर बल देता है। अन्य देशों के विश्वविद्यालयों के संघ के साथ भारत के विश्वविद्यालयों के बीच सूचना, संयुक्त क्षमता निर्माण कार्यक्रम, क्रेडिट हस्तांतरण, दोहरी या संयुक्त डिग्री कार्यक्रम, पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों की मान्यता, डिग्री की समानता आदि और प्रभाग से संबंधित गतिविधियों के बीच समन्वय स्थापित करता है। यह प्रभाग राष्ट्रीय एवंअंतर्राष्ट्रीय संगठनों के आपसी सहयोग, ज्ञापनों के आदान प्रदान तथा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों में प्रतिनिधित्व का रिकॉर्ड भी रखता है। अतः इससे जुड़कर यूनिवर्सिटी एक प्रोफेशनल यूनिट की तरह कार्य कर पाएगी।

Most Popular