झाझा – बरमसिया पुल की उखड़ रहीं है सांसें… इंतज़ार किसका है? हर दिन गुजरती भारी वाहनों के साथ काँपता है पुल… बड़े हादसे को दे रहा निमंत्रण!, देखें वीडियो….

KK Sagar
4 Min Read


झाझा शहर को आसपास के दर्जनों गांवों से जोड़ने वाला एकमात्र बरमसिया पुल अब अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। पुल की जर्जर स्थिति किसी भी क्षण बड़ी दुर्घटना को जन्म दे सकती है। हर गुजरती गाड़ी के साथ पुल काँपता है, और लगता है मानो हादसा अब दूर नहीं।

रोज़ाना हजारों लोग और सैकड़ों दोपहिया व चारपहिया वाहन इस पुल से गुजरते हैं। यह न सिर्फ एक आम रास्ता है, बल्कि व्यापार, शिक्षा, रोजगार और जीवन-निर्भरता की सबसे अहम कड़ी भी है। बावजूद इसके, इस पुल की स्थिति पर न तो कोई गंभीर सरकारी पहल हुई है और न ही जनप्रतिनिधियों ने कोई ठोस कदम उठाया है।

बरमसिया पुल पर गुजरती भारी वाहन

❗ बोर्ड लगे हैं, निगरानी नहीं

पुल के दोनों छोर पर चेतावनी स्वरूप बोर्ड लगे हैं —
“यह पुल जर्जर एवं क्षतिग्रस्त है, भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है।”
यह आदेश कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल झाझा (जमुई) द्वारा जारी किया गया है। लेकिन विडंबना यह है कि इस आदेश की निगरानी का कोई ठोस प्रबंध नहीं है। नतीजा यह है कि रोजाना दर्जनों भारी वाहन बिना किसी रोक-टोक के इस पुल से गुजरते हैं, जो स्थिति को और भी खतरनाक बना रहा है।

🛑 जनप्रतिनिधियों की चुप्पी, जनता की चिंता

स्थानीय नागरिकों ने कई बार जनप्रतिनिधियों को पुल की दुर्दशा के बारे में अवगत कराया है। लेकिन अब तक न कोई मरम्मती कार्य शुरू हुआ है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है। लोगों की मांग है कि पुल के दोनों ओर बैरिकेडिंग लगाकर भारी वाहनों को रोका जाए और पुल पर स्थायी निगरानी की व्यवस्था हो।

🚛 जाम की समस्या बनी बोझ

पुल के पास दुर्गा मंदिर क्षेत्र से लेकर बरमसिया पुल तक रोजाना भारी जाम की स्थिति बनती है। संकरी सड़कों पर खड़े ट्रकों से माल की ढुलाई होती है, जिससे सड़कों पर लगातार जाम की स्थिति बनी रहती है। इन ट्रकों का दबाव भी इस पहले से ही जर्जर पुल पर अतिरिक्त बोझ बनकर पड़ रहा है।

🔧 जल्द न चेते प्रशासन तो हो सकता है बड़ा हादसा

बरमसिया पुल की स्थिति किसी ticking time bomb से कम नहीं है। हर गुजरता दिन इस पुल को मौत के करीब ले जा रहा है। ऐसे में ज़रूरत है कि प्रशासन त्वरित कार्रवाई करे—

📢 जनता की सीधी मांग:

👉 जर्ज़र पुल की जल्द से जल्द मरम्मत कराई जाए

👉 दोनों छोर पर मज़बूत बैरिकेडिंग लगाई जाए

👉 निगरानी टीम की नियुक्ति

👉 भारी वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण रोक लगे

👉 जाम की समस्या के लिए वैकल्पिक व्यवस्था हो


गौरतलब है कि बरमसिया पुल सिर्फ एक ढांचा नहीं, झाझा और आस-पास के गांवों की ‘जीवन रेखा’ है। अगर इस पर जल्द कोई ठोस पहल नहीं हुई, तो यह चुप्पी किसी बड़े हादसे की गूंज में बदल सकती है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इंतजार किस बात की…?

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....