रांची: झारखंड को कोर्ट, पुलिस, जेल और फॉरेंसिक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में डेटा और सूचना के आदान-प्रदान के लिए 41.54 करोड़ रुपये की राशि मिली है। यह राशि केंद्र सरकार द्वारा इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) 2.0 के तहत उपलब्ध कराई गई है।
क्या है इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम?
यह एक ऐसा डिजिटल सिस्टम है, जो न्याय प्रणाली से जुड़े विभिन्न अंगों (पुलिस, अदालत, जेल, फॉरेंसिक और अभियोजन) को एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना और सूचनाओं के तेजी से आदान-प्रदान को सुनिश्चित करना है।
झारखंड में कहां होगा खर्च?
इस योजना के तहत विभिन्न विभागों में निम्नलिखित मदों पर खर्च किया जाएगा:
- पुलिस: 25.07 करोड़ रुपये
- मॉडर्नाइजेशन: 7.35 करोड़ रुपये
- फॉरेंसिक: 4.25 लाख रुपये
- अदालत: 1.42 करोड़ रुपये
- ई-अभियोजन: 11.89 करोड़ रुपये
- कैदियों की बिल्डिंग: 83.36 लाख रुपये
- जेल: 1.60 करोड़ रुपये
न्याय प्रणाली के प्रमुख अंगों को किया गया एकीकृत
ICJS के तहत झारखंड में अपराध और न्याय से जुड़े विभिन्न विभागों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है:
- पुलिस (CCTNS) – पुलिस के डेटाबेस को ICJS से जोड़ा गया है।
- अदालत (ई-कोर्ट्स) – अदालती कार्यों को डिजिटल रूप से जोड़ने के लिए ई-कोर्ट्स को ICJS से लिंक किया गया है।
- जेल (ई-कारागार) – जेल प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिए इसे इस सिस्टम से जोड़ा गया है।
- फॉरेंसिक लैब (ई-फॉरेंसिक) – अपराधों की जांच को मजबूत करने के लिए फॉरेंसिक विभाग को भी ICJS से जोड़ा गया है।
- अभियोजन (ई-अभियोजन) – अभियोजन प्रणाली को डिजिटल रूप से मजबूत करने के लिए इसे इस सिस्टम का हिस्सा बनाया गया है।
आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े सुधार की उम्मीद
ICJS 2.0 के तहत झारखंड में आपराधिक मामलों की जांच, सुनवाई और निपटारे की प्रक्रिया तेज होगी। यह पुलिस, न्यायालय और जेल प्रशासन के बीच समन्वय बढ़ाएगा और अपराध नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह कदम झारखंड में न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।