सिद्ध योग में मनाया जा रहा करवा चौथ: सुहागन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए रखा निर्जला व्रत

KK Sagar
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देशभर में आज शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को करवा चौथ का व्रत बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस बार का करवा चौथ सिद्ध योग में पड़ा है, जिसे अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। इस व्रत का विशेष महत्व सुहागन महिलाओं के लिए होता है, जो अपने पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं।


सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत

महिलाओं ने आज तड़के सरगी ग्रहण कर व्रत की शुरुआत की। यह व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक बिना अन्न और जल के रखा जाता है। इस बार का करवा चौथ व्रत लगभग 13 घंटे 54 मिनट का रहेगा। सूर्योदय सुबह 5:12 बजे हुआ, जबकि चांद रात 8 बजकर 13 मिनट पर निकलने की संभावना है।


शुक्रवार और सिद्ध योग बना दिन को विशेष

ज्योतिष के अनुसार, शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह का होता है, जो प्रेम, वैवाहिक जीवन और भौतिक सुख-सुविधा का कारक माना जाता है। ऐसे में सिद्ध योग में रखा गया यह करवा चौथ व्रत व्रती महिलाओं की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना जा रहा है।


करवा चौथ की पूजा विधि और मुहूर्त

करवा चौथ की पूजा शाम 5 बजकर 57 मिनट से लेकर 7 बजकर 11 मिनट तक के शुभ मुहूर्त में की जाएगी। पूजा के दौरान महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की विधि-विधान से आराधना करेंगी। इसके बाद समूह में करवा चौथ की कथा सुनी जाएगी और आरती के बाद चंद्रमा के उदय का इंतजार किया जाएगा।


चंद्रदर्शन और पारण की परंपरा

रात में चांद निकलने पर महिलाएं चलनी से चंद्रमा और पति का दर्शन करती हैं, फिर अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करती हैं। पति के हाथों जल ग्रहण करने के बाद ही व्रत पूर्ण होता है। माना जाता है कि इस विधि से किया गया करवा चौथ व्रत वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और खुशहाली लाता है।


करवा चौथ कथा: प्रेम और समर्पण की प्रतीक

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सत्यवान और सावित्री की कथा के समान एक महिला ने अपने पति के जीवन की रक्षा के लिए कठोर करवा चौथ व्रत रखा था। उसकी अटूट आस्था और समर्पण से मृत्यु के देवता यमराज भी पिघल गए और उसके पति को जीवनदान मिला। तभी से यह व्रत पति की दीर्घायु के प्रतीक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।


करवा चौथ: सौभाग्य, प्रेम और विश्वास का पर्व

आज का करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और त्याग का प्रतीक पर्व है। यह दिन महिलाओं की आस्था, समर्पण और वैवाहिक बंधन की मजबूती को दर्शाता है। सिद्ध योग और शुक्रवार के संयोजन में मनाया जा रहा यह व्रत इस बार और भी अधिक शुभ और मंगलकारी माना जा रहा है।

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