धनबाद: बिना चालान के लघु खनिज संपदाओं के उपयोग को लेकर उपायुक्त के निर्देश पर खनन विभाग जांच कर विभागों से जुर्माना वसूल रही है ।
इसी क्रम में धनबाद के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सेंट्रल डिविजन के कार्यपालक अभियंता को पत्र लिख एक बार पुनः रिमाइंडर देते हुए लघु खनिज से संबंधित चालान एवं ब्यौरा मांगा है। साथ ही जुर्माना की राशि यथा शीघ्र जमा करने के निर्देश दिए हैं।
खनन विभाग की माने तो मामला वर्ष 2016 की है। जहां सिविल निर्माण कार्य में उपयोग किए गए खनिजों का ब्यौरा एवं राजस्व भुगतान की विवरण नहीं उपलब्ध कराने के बाद जिला खनन कार्यालय से मार्च 2022 को पत्र प्रेषित किया गया था। जिसमें स्पष्ट लिखे गए थे कि खनिजो से संबंधित ई परिवहन चालान की विवरणी अथवा नियम 55 के तहत भुगतान की राशि का ब्यौरा पत्र प्रेषित करने के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग धनबाद ने इस और ध्यान नहीं दिया है। जिसके कारण खनिजों की वैधता संबंधित जांच संपूर्ण नहीं हो पा रही है तथा जुर्माना की राशि का भुगतान नहीं के करने कारण सरकारी राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।
वहीं जिला खनन पदाधिकारी मिहिर सालकर ने बताया कि तत्कालीन उपायुक्त संदीप सिंह के निर्देश पर तीन बार पत्राचार किया जा चुका है। लेकिन केंद्रीय लोक निर्माण विभाग धनबाद इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। पैसा देने की बात विभाग कर रहा है लेकिन मांगे गए ब्यौरा नहीं देने से जुर्माना की राशि का सही आकलन नहीं हो पा रहा है,जिसका सही से आकलन किया जाए तो जुर्माना की राशि करोड़ों में हो सकती है लेकिन केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सेंट्रल डिविजन द्वारा ब्यौरा नहीं दिया जा रहा है ।अगर जल्दी ही इस और ध्यान नहीं दिया गया तो मजबूरन सर्टिफिकेट कैसे करना पड़ेगा
यहां बता दें कि खनन विभाग से जो ब्यौरा मांगे गए हैं वह इस प्रकार हैं–
क्रम संख्या
कार्य का नाम
संवेदक का नाम एवं पता
कार्य के लिए दिए गए आदेश संख्या एवं तिथि
उपयोग किए गए खनिजों की मात्रा
जैसे ईंट, मिट्टी,मोरम, स्टोन चिप्स, बालू
कितनी मात्रा में उपयोग किए गए हैं।
कटौती की गई राशि का विवरण जैसे अगर पूर्व में भुगतान किए गए हैं तो रॉयल्टी, डीएमएफटी, मैनेजमेंट फी, और ईसेस भुगतान की गई राशि कितनी है और उसका विवरण।
इधर,खनन विभाग का कहना है कि अगर वैध तरीके से खनिज संपदाओं के उपयोग हुए हैं तो विवरण देने में देरी करना समझ से परे है जबकि कार्य कर रहे संवेदक के पास खरीदे गए सामग्रियों की पूरी विवरण होती है ।
विभाग 65 लाख रुपए जुर्माना की राशि देने को तैयार है, लेकिन ना तो भुगतान किया गया है और ना ही विवरण दिया जा रहा है जबकि भुगतान के लिए कोई अकाउंट नहीं होता सीधा जेम्स पोर्टल पर भुगतान किया जाता है ।वर्ष 2016 से ही खनिज संपदाओं के उपयोग किए गए हैं ।लेकिन रॉयल्टी नहीं देने के कारण सरकार को राजस्व की हानि हुई है ।अब विगत 8 सालों का ब्यौरा जब मांगा जा रहा है तो विभाग टालमटोल कर रही है।
वहीं पूरे मामले पर जब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सेंट्रल डिविजन के कार्यपालक अभियंता प्रशांत गौतम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आईएसएम प्रोजेक्ट भवन की जिम्मेवारी उनकी नहीं हैं, खनिज संपदाओं के उपयोग नियम संगत हुए हैं। जहां तक राशि जमा करने की बात है तो अकाउंट डिटेल्स मांग रहे हैं,लेकिन उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। बहुत जल्द वो उपायुक्त से मिलकर इस पर वार्ता कर राशि जमा कर देंगे ।
अब सवाल यह उठता है कि बार– बार पत्र प्रेषित कर ब्यौरा मांगा जा रहा है तो फिर सीपीडब्ल्यूडी अब तक ब्यौरा क्यों नहीं दे पाई। अगर परिवहन चालान से ही वैध तरीके से खनिज संपदाओं के उपयोग हुए हैं तो फिर उनके डिटेल्स क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा रहे हैं ।
विभाग एक तरफ कह रहा है कि वह राशि भुगतान को तैयार है तो फिर ब्यौरा देने में क्यों आनाकानी हो रही है ।
जिला प्रशासन द्वारा बार-बार पत्र प्रेषित करने के बावजूद भी सीपीडब्ल्यूडी द्वारा जवाब नहीं देना और जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करना कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।
बहरहाल जिस तरह से खनन विभाग ने अब कड़े निर्णय लिए हैं ऐसे में अगर जल्द ही ब्यौरा नहीं दिया गया तो करोड़ों की राशि का सर्टिफिकेट कैसे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सेंट्रल डिविजन पर किया जाएगा हालांकि धनबाद उपायुक्त के संज्ञान में पूरा मामला है 7 दिन का समय भी सीपीडब्ल्यूडी को दिया गया है ऐसे में सीपीडब्ल्यूडी किस प्रकार पहल कर वैध तरीके से उपयोग किए गए खनिज संपदाओं का पूरा विवरण देती है और जुर्माने की राशि कितना लगाया जाता है। यह तो समय ही बताएगा ।