आरआईडीएफ नोडल अधिकारियों के लिए एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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जमशेदपुर : नाबार्ड द्वारा आरआईडीएफ के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर विभागों के नोडल अधिकारियों के लिए एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन समाहरणालय सभागार में आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन उप विकास आयुक्त मनीष कुमार द्वारा किया गया। बैठक में विभिन्न विभागों के वरीय पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता तथा आरआईडीएफ के नोडल अधिकारी भी उपस्थित थे। नाबार्ड से इस कार्यशाला में सहायक महाप्रबन्धक राकेश सिन्हा समेत जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड जस्मिका बास्के उपस्थित थे।
उप विकास आयुक्त ने सतत व दीर्घकालीन विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत विकास की परियोजनाओं को निर्णायक घटक बताया। उन्होंने इन परियोजनाओं को गुणवत्तापूर्ण तथा ससमय पूरे किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने जिला की जमीनी स्तर की आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर आरआईडीएफ के अंतर्गत ऋण पोषित कर इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होने कहा कि इसके लिए डीडीएम नाबार्ड व विभागीय पदाधिकारियों को मिलकर क्रिटिकल गैप इन्फ्रास्ट्रक्चर को चयन करना होगा। उन्होने डीएलआरसी बैठक के लिए जोर दिया और सभी संबंधित विभागों को ज़मीनी स्तर का व्यय नाबार्ड को निधि जारी करने के लिए अग्रेषित करने और प्रोजेक्ट कंप्लीशन रिपोर्ट भी प्रेषित करने की बात कही।
नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय के सहायक महाप्रबन्धक ने कहा कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन को गति प्रदान की जा सके तथा परियोजना के ससमय क्रियान्वन में अगर कोई बाधा हो तो उसे दूर किया जा सके इसके लिए कार्यशाला काफी महत्वपूर्ण है। कार्यान्वयन कर रहे विभागों से यह अपेक्षित है की वे परियोजना मे हुए खर्चे का मासिक ब्योरा नाबार्ड को उपलब्ध करवाएं ताकि नाबार्ड ससमय राशि निर्गत कर सके और राज्य सरकार नाबार्ड के इस किफ़ायती वित्तीय सहयोग का समुचित लाभ ले सके।
जिला विकास प्रबन्धक नाबार्ड ने बताया कि नाबार्ड द्वारा पूर्वी सिंहभूम जिले में आरआईडीएफ के कुल 38 परियोजनाओं के लिए 183.68 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें 128.42 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। ये सभी परियोजनायें अभी चल रही हैं। उन्होने सभी विभागों से योजना पूरी होने के बाद तुरंत प्रोजेक्ट कंप्लीशन सर्टिफिकेट तथा उसके 6 महीने के अंदर प्रोजेक्ट कंप्लीशन रिपोर्ट नाबार्ड को समर्पित करने का आग्रह किया। उन्होने यह भी बताया कि नाबार्ड द्वारा निर्धारित प्रारूप में परियोजना से संबन्धित “डिस्प्ले बोर्ड” हरेक परियोजना मे लगाना आवश्यक है। क्योकि यह सोशल मॉनिटरिंग का एक अंग है।