खनन क्षेत्र में हुए हादसों पर BCCL बेपरवाह, तो डीजीएमएस बनी गैरजिम्मेदार : एनजीटी ने लिया संज्ञान और धनबाद उपायुक्त से मांगी रिपोर्ट

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बीसीसीएल के भौरा पैच 4 A खनन क्षेत्र में विगत 9 जून को हुए हादसों पर एनजीटी ने लिया संज्ञान

मिरर मीडिया : बीसीसीएल के भौरा पैच 4 A खनन क्षेत्र में विगत 9 जून को हुए हादसों पर एनजीटी ने संज्ञान लेते हुए धनबाद उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी है। हालांकि इसमें ना तो बीसीसीएल को प्रतिवादी बनाया गया है न हीं डीजीएमएस को। जबकि नियम के मुताबिक अगर बीसीसीएल के कोयला क्षेत्रों में किसी प्रकार के हादसा के लिए सिर्फ और सिर्फ डीजीएमएस की जिम्मेवारी बनती है।

यहां बता दें कि कोयले की देखरेख और रखरखाव उत्पादन और निर्यात की जिम्मेवारी बीसीसीएल की है इसके लिए बीसीसीएल के हर इलाको में जीएम, परियोजना पदाधिकारी सहित सीआईएसएफ की टीम सुरक्षा में लगे रहते हैं बावजूद कोयले की चोरी नहीं रुकती।

वही बीसीसीएल आउटसोर्सिंग एजेंसी को कोयले खदानों की देखरेख और डिस्पैच हेतु कार्य दिया हुआ है आउटसोर्सिंग एजेंसी की भी कोयले की देखरेख और रखरखाव की जिम्मेदारी बनती है यानी की कुल मिलाकर बीसीसीएल के अधीनस्थ आउटसोर्सिंग कर्मचारी सीआईएसएफ की टीम जीएम, परियोजना पदाधिकारी सहित एजेंट जिनको डीपी कहते हैं वह सब मिलकर कोयले की खदानों की सुरक्षा में रहते हैं इतनी बड़ी संख्या में देखरेख के बावजूद भी कोयले की चोरी नहीं रुकती और अवैध तरीके से लोगों का प्रवेश होता है।

वहीं दूसरी तरफ अगर कोयला क्षेत्रों में किसी प्रकार की कोई दुर्घटना होती हैं यहां तक की किसी को चक्कर आता है और वो अगर गिर जाता है तो उसके बाद की जिम्मेवारी डीजीएमएस की बनती है लेकिन ना तो भंवरा पेच में हुए हादसा के लिए बीसीसीएल को जिम्मेदार ठहराया गया न ही डीजीएमएस को।

जबकि यहां दोनों की भूमिका संदिग्ध है और दोनों ने ही चुप्पी साध रखी है एक तरफ जहां जिला प्रशासन ने भौरा में हुए खनन हादसा में 2 मौत की पुष्टि की है वहीं दूसरी तरफ बीसीसीएल ने किसी प्रकार की मौत की पुष्टि नहीं की है जबकि डीजीएमएस अपने मुंह पर ताला जड़े हुए हैं।

गौरतलब है कि कोल मांइन्स रेग्युलेशन 2017 के धारा 08 के तहत एवं Mines Act 1952 के धारा 23 के तहत BCCL के Agent /Owner को Chief Inspector of Mines, DGMS को सूचित करना अनिवार्य है ऐसा करने में असफल रहने पर Mines Act 1952 के धारा 70 के तहत 03 माह की कैद एवं वित्तीय दंड का प्रावधान है।

वहीं DGMS को सूचना देने के बाद DGMS द्वारा इन्क्वारी करते हुए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जाता है या फिर DGMS चाहे तो Court of Enquiry का गठन करते हुए कानूनी करवाई भी कर सकती है।

ज्ञात रहें कि 9 जून को भौरा के आउटसोर्सिंग फोर ए पैच में अवैध खनन करने के दौरान कोयला चोरों के ऊपर अचानक चाल गिर गई थी इस हादसे में करीब आधा दर्जन से अधिक लोग दब गए। आनन फानन में स्थानीय लोगो ने मलबे से दबे लोगो को बाहर निकाला और इलाज के लिए अस्पताल ले गए वहीं गंभीर रूप से घायल लोगो को भौंरा बीसीसीएल अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने 3 लोगों की मौत की पुष्टि की थी।

वहीं इस घटना पर संज्ञान लेते हुए धनबाद उपायुक्त ने सिंदरी एसडीपीओ और झरिया सीओ के नेतृत्व में जांच कमेटी भी गठित की थी और पूरे मामले की सत्यता की जांच कर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

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