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NDA में शामिल हुए उत्तर प्रदेश से ओम प्रकाश राजभर : 2024 का लोकसभा चुनाव NDA vs PDA

मिरर मीडिया : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। पूरे देश में सत्ता और विपक्षी दल अपनी अपनी पार्टियों को मजबूत करने में लगी है। बता दें कि विगत दिनों चिराग पासवान भी NDA में शामिल हो चुके है जबकि उनके चाचा पहले से ही NDA का हिस्सा है। यानी दोनों लोक जनशक्ति पार्टी NDA के साथ है वही बिहार से ही जीतन राम मांझी ने भी NDA का साथ दिया है। जबकि मांझी के बाद अब उत्तर प्रदेश से ओम प्रकाश राजभर की भी एनडीए में वापसी हो गई है।

इस बाबत राजभर और चौहान, एनडीए चेयरमैन अमित शाह से मिल चुके हैं। इस संदर्भ में गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर जानकारी साझा कि है।

श्री ओम प्रकाश राजभर जी से दिल्ली में भेंट हुई और उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी जी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन में आने का निर्णय लिया। मैं उनका NDA परिवार में स्वागत करता हूँ।

राजभर जी के आने से उत्तर प्रदेश में एनडीए को मजबूती मिलेगी और मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए द्वारा गरीबों व वंचितों के कल्याण हेतु किए जा रहे प्रयासों को और बल मिलेगा।

संभव है कि राजभर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी बना दिए जाएं। भाजपा राजभर के बड़बोलेपन के बावजूद साथ लेने में परहेज नहीं कर रही है क्योंकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इनके समाज का वोट है और कई सीटों पर यह बिरादरी हार-जीत तय करती आ रही है।

इधर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की बातचीत भी अंतिम दौर में बताई जा रही है। उत्तर प्रदेश के एक कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी और विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

गृह मंत्री अमित शाह इन दिनों बहुत तेजी से भाजपा और एनडीए का कुनबा बढ़ा रहे हैं। वे छोटे दलों को एनडीए और अन्य दलों में मौजूद बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल करने की मुहिम में जुटे हैं। शरद पवार जैसे कद्दावर नेता को उनके ही भतीजे अजित पवार के जरिए झटका देना भाजपा की उसी नीति का हिस्सा है।

कर्नाटक में जेडीएस भी एनडीए का हिस्सा हो सकती है। बिहार में उपेन्द्र कुशवाहा, वीआईपी के मुकेश साहनी की पार्टी का भी एनडीए में आना तय माना जा रहा है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आएगा, ऐसे राजनीतिक परिवर्तन सामने आते रहेंगे। असल में भारतीय जनता पार्टी यूपी, बिहार जैसे राज्यों की ताकत जानती है। यहां अनेक छोटे-छोटे दल ऐसे हैं, जो अकेले लड़ें तो संभव है कि अपने पक्ष में बहुत कुछ न कर सकें लेकिन जैसे ही वे भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा होते हैं, उनका हर वोट महत्वपूर्ण हो जाता है।

यूं तो जातीय राजनीति पूरे देश में हावी है लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जातिगत राजनीति पराकाष्ठा पर है।

Uday Kumar Pandey
Uday Kumar Pandeyhttps://mirrormedia.co.in
मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।

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