मिरर मीडिया : झारखंड में नियोजन नीति का मामला थमने का नाम नहो ले रही है। लगातार छात्र संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आंदोलन किया और मुख्यमंत्री आवास का भी घेराव किया गया। जबकि इस मामले को लेकर 10 और 11 जून को झारखंड बंद का भी आह्वान किया गया था।
आंदोलन के क्रम में अब नयी रणनीति के तहत एक बार फिर छात्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इसे लेकर झारखंड के 5 प्रमंडलों के छात्र नेता अब 3 जुलाई को रांची में जुटेंगे और इस दौरान आगे की रणनीति तैयार करेंगे। पिछले छह महीने के दौरान किये गये छात्र आंदोलनों की भी समीक्षा करेंगे।
छात्र नेता कि माने तो राज्य की सवा तीन करोड़ लोग उनके साथ हैं। यहां के स्थानीय लोगों को सरकार नौकरी दें। राज्य हित में आगामी मानसून सत्र में इस प्रस्ताव को सरकार लाये। यदि ऐसा नहीं किया गया तो छात्र एक बार फिर सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे और उग्र आंदोलन करेंगे।
इस बाबत छात्र नेता देवेंद्र ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण ही झारखंड में सभी नौकरियां रद्द हो जाती हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी छात्र अभियान चला रहे हैं अब एक बार फिर सड़क पर उतरकर छात्र विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।
झारखंड में बिहार की तर्ज पर नियोजन नीति लागू हो यह छात्र चाहते हैं। मूल झारखंडी छात्रों को पांच वर्ष का उम्र सीमा में विशेष छुट दी जाए, जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों को जिला स्तर में आरक्षण लागू हो, राज्य स्तर तथा जिला स्तर के सभी तकनीकी तथा गैर तकनीकी परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का पेपर अनिवार्य हो और उत्तराखंड की तर्ज़ पर परीक्षा नकल विरोधी कानून लागू किया जाए यह इन छात्रों की प्रमुख मांग है।