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काशी में 14 मार्च को होली : बिहार में 15 को : होली की तारीख को लेकर असमंजस दूर, जानिए विद्वानों की राय कब मनाई जाएगी होली

देशभर में रंगों के त्योहार की धूम, प्रेम और उल्लास का माहौल

रंगों का महापर्व होली पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, भाईचारे और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है। इस दिन लोग आपसी भेदभाव भुलाकर रंग-गुलाल उड़ाते हैं और एक-दूसरे को प्रेमपूर्वक शुभकामनाएं देते हैं।

होली की तारीख को लेकर असमंजस दूर, कब मनेगी होली?

इस साल होली की तारीख को लेकर काफी असमंजस था। देश के अलग-अलग हिस्सों में कहीं 14 मार्च को तो कहीं 15 मार्च को होली मनाई जा रही है। धार्मिक शास्त्रों और पंचांगों के अनुसार, उदया तिथि को प्राथमिकता देते हुए अधिकांश स्थानों पर 15 मार्च को होली मनाना उचित माना गया है।

काशी में 14 मार्च को होली, बिहार में 15 मार्च को

  • काशी (वाराणसी) में 14 मार्च को होली: काशी पंचांग के अनुसार वाराणसी में होली 14 मार्च को मनाई जा रही है।
  • बिहार में 15 मार्च को होली: बिहार में उदया तिथि का पालन किया जाता है, इसलिए यहां 15 मार्च को होली खेली जाएगी।

मिथिला पंचांग के अनुसार, चैत्र प्रतिपदा 14 मार्च को दोपहर 12:26 बजे से शुरू हो रही है। बिहार में चैत्र प्रतिपदा को होली मनाने की परंपरा है, इसलिए विद्वानों ने 15 मार्च को होली मनाने की सिफारिश की है।

होलिका दहन की तिथि

होलिका दहन 13 मार्च को किया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन होता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। पूर्णिमा तिथि 14 मार्च को पूर्वाह्न 11:30 बजे तक थी, इसलिए उदया तिथि के अनुसार 15 मार्च को होली मनाना उचित माना गया है।

होली का धार्मिक महत्व और पौराणिक कथा

होली के त्योहार की सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की है। अहंकारी राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु भक्ति से रोकने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन हर बार वह असफल रहा। अंत में उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे, क्योंकि उसे आग से न जलने का वरदान था। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इसी घटना की याद में हर साल होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली मनाई जाती है।

होली: प्रेम, सौहार्द और नई शुरुआत का पर्व

होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह समाज में प्रेम और सद्भावना को भी बढ़ाने का प्रतीक है। यह पर्व गिले-शिकवे मिटाने और आपसी प्रेम को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

रंगों का यह पावन पर्व आपके जीवन में खुशियां, उमंग और नई ऊर्जा लेकर आए। यह त्योहार सभी देशवासियों को प्रेम और एकता के रंग में रंग दे, यही कामना है!

KK Sagar
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