मतदान केंद्रों की जियो-फेंसिंग के लिए पूर्वी सिंहभूम में एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : जिला निर्वाचन पदाधिकारी कर्ण सत्यार्थी के निर्देश पर रवीन्द्र भवन सभागार साकची में जिले के सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों के मतदान केंद्रों की जियो-फेंसिंग के लिए एक दिवसीय ‘हैंड-ऑन’ प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करना है। इस प्रशिक्षण में बीएलओ सुपरवाइजर, अमीन, आवास समन्वयक और सभी कंप्यूटर ऑपरेटरों ने मास्टर प्रशिक्षक के रूप में भाग लिया। प्रशिक्षण का संचालन उप निर्वाचन पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम प्रियंका सिंह द्वारा किया गया।

प्रशिक्षण में शामिल प्रमुख बिंदु
प्रशिक्षण सत्र के दौरान, प्रतिभागियों को मतदान केंद्रों की जियो-फेंसिंग के लिए आवश्यक विभिन्न उपकरणों और तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी गई। इसमें नजरी नक्शा, की-मैप (Key Map), गूगल मैप (Google Map) और सीएडी व्यू (CAD View) शामिल थे। प्रतिभागियों को नजरी नक्शा की परिभाषा, उसकी उपयोगिता, टर्मिनल सीमा बिंदु, की-मैप की विशेषताओं और सीएडी व्यू के तकनीकी पहलुओं को पीपीटी (PPT) के माध्यम से विस्तार से समझाया गया।

व्यावहारिक क्षेत्र प्रशिक्षण
सैद्धांतिक ज्ञान के बाद, प्रतिभागियों को 12 टीमों में विभाजित किया गया और टैगोर एकेडमी (मतदान केंद्र संख्या 170, 171) और विवेकानंद उच्च विद्यालय, चेनाब रोड (मतदान केंद्र संख्या 172, 173) में चार मतदान केंद्रों पर फील्ड-स्तर पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान, जियो-फेंसिंग के लिए नजरी नक्शा की प्रति, टर्निंग पॉइंट निर्देशांक फॉर्म और की-मैप के आधार पर जियो-फेंसिंग का अभ्यास कराया गया। इस पूरी प्रक्रिया की जांच के लिए चार अलग-अलग करेक्शन टीमें भी मौजूद थी।

आगामी कार्ययोजना
प्रशिक्षण के अंत में प्रतिभागियों को जियो-फेंसिंग कार्य की आगामी समय-सारणी से भी अवगत कराया गया।

बीएलओ और सुपरवाइजरों का प्रशिक्षण: 16 जून से 21 जून 2025

नजरी नक्शा/की-मैप तैयार करना और टर्निंग पॉइंट्स का संग्रह: 23 जून से 28 जून 2025

एईआरओ (AERO)/ईआरओ (ERO) द्वारा जांच: 1 जुलाई से 5 जुलाई 2025

डेटा और नक्शा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजना: 7 जुलाई 2025

ईआरओ नेट पर अपडेट: 14 जुलाई से 19 जुलाई 2025
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सुनिश्चित करता है कि आगामी चुनाव प्रक्रियाएं अधिक सटीक और पारदर्शी हों, जिससे मतदान केंद्रों की भौगोलिक स्थिति का सही-सही निर्धारण किया जा सके।

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