संसद के विशेष सत्र पर विपक्ष का निशाना, कहा देश में तानाशाही कर रही है सरकार

Anupam Kumar
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देश : केंद्र सरकार ने गुरुवार को सभी को चौंकाते हुए 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संसद के विशेष सत्री की जानकारी संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर दी। इस सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी। संसद के विशेष सत्र को लेकर अब तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं सभी राजनीतिक दलों ने इसपर प्रतिक्रिया दी है।
दअरसल,राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि संसद के विशेष सत्र में ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बिल पास हो सकता है। इसपर शिवसेना नेता (यूबीटी) और सांसद संजय राउत ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव ठीक है, लेकिन निष्पक्ष चुनाव होना चाहिए। केंद्र सरकार इसे निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग को स्थगित करने के लिए लेकर आई है।” ‘मुझे लगता है ये एक षड्यंत्र है चुनाव आगे ढकेलने के लिए। उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि ये एक चुनाव आगे करने के लिए एक साजिश है, ये लोग चुनाव नहीं कराना चाहते बीजेपी INDIA से डर गई हैं,

वहीं संसद के विशेष सत्र और सत्र के एजेंडे की अटकलों पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि सत्र के एजेंडे को लेकर सस्पेंस है, कौन सा बिल आएगा, कौन सा नहीं आएगा। मीडिया में चर्चा है कि एक देश, एक चुनाव के लिए कानून आ सकता है, महिला आरक्षण और यीसीसी के लिए कानून आ सकता है। अगर आप विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं तो पहले आपको बुलाना चाहिए विपक्ष को विश्वास में लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाएं। क्या देश में तानाशाही चल रही है।
साथ ही शिवसेना उद्धव गुट के सीनियर नेता अनिल देसाई ने इस बारे में कहा कि एक देश, एक चुनाव की चाहे जो भी अवधारणा हो। इसे सभी राजनीतिक दलों के सामने रखने की जरूरत है, इसके बाद इसपर विचार-विमर्श और चर्चा होगी और फिर फैसला किया जाएगा।
संसद के विशेष सत्र और सत्र के एजेंडे की अटकलों पर सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि कई सारी अटकलें हैं। सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। क्या मुद्दे हैं? एजेंडा क्या होगा? कोई नहीं जानता। लेकिन अटकलें हैं। लेकिन हम उन अटकलों का सामना करेंगे, क्योंकि जब से बीजेपी सत्ता में आई है, संसद लगातार व्यर्थ होती जा रही है।एक बात बहुत स्पष्ट है कि बीजेपी और पीएम मोदी हताश हैं और वे चुनाव का सामना करने को लेकर आश्वस्त नहीं। इंडिया गठबंधन को देखने के बाद वे डरे हुए हैं।

वहीं समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति के अध्यक्ष बनाए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से पूर्व राष्ट्रपति को किसी भी पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। अगर सरकार ऐसा किया है तो यह गलत है। सपा सांसद ने कहा कि वन नेशन और वन इलेक्शन पर चर्चा होनी चाहिए और फिर कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।

आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने संसद के विशेष सत्र और सत्र के एजेंडे की अटकलों पर कहा, इससे साफ पता चलता है कि वे डरे हुए हैं। इंडिया गठबंधन की पहली दो बैठकों के बाद, उन्होंने एलपीजी की कीमतों में 200 रुपये की कटौती कर दी। अब, वे संविधान में संशोधन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे इसके साथ आगामी चुनाव नहीं जीत पाएंगे।

मालूम हो कि एक देश एक चुनाव’ की संभावना तलाशने के लिए केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक समिति गठित की है।

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