या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता : नवरात्रि 2025 का शुभारंभ: प्रथम दिन ऐसे करें माता शैलपुत्री की आराधना

KK Sagar
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आज से शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ हो गया है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पावन पर्व भक्तों के लिए आस्था, साधना और उत्सव का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है।


शुभ मुहूर्त और तिथियां

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस समय आश्विन माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि चल रही है, जो देर रात तक रहेगी। घटस्थापना और पूजन के लिए आज सुबह 06:28 बजे से 08:20 बजे तक और दोपहर 12:08 से 12:56 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना गया है।

सूर्योदय: प्रातः 06:28 बजे

सूर्यास्त: सायं 06:39 बजे

चंद्रोदय: सुबह 06:23 बजे

चंद्रास्त: शाम 06:51 बजे

नक्षत्र: सुबह 11:24 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी और इसके बाद हस्त नक्षत्र रहेगा।
योग: शाम 07:58 बजे तक शुक्ल योग, उसके बाद ब्रह्म योग रहेगा।
करण: दोपहर 02:07 बजे तक किस्तुघन करण, फिर बव करण प्रारंभ होगा।
आज पूरे दिन पूर्व दिशा में यात्रा वर्जित मानी गई है।


देवी शैलपुत्री का स्वरूप

माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इस नाम से विख्यात हैं।

इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प है।

इनकी सवारी वृषभ (बैल) है।

उनका स्वरूप अत्यंत ही दिव्य और मनमोहक माना जाता है।

माता शैलपुत्री की आराधना से चंद्रमा से जुड़ी नकारात्मकताओं और मानसिक कष्टों का निवारण होता है।


पूजा-विधान और प्रिय भोग

नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की विशेष पूजा का विधान है। देवी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद रंग की वस्तुएं चढ़ाना शुभ माना जाता है।

सफेद बर्फी

दूध से बनी मिठाइयां

गाय के घी का हलवा

रबड़ी

मावे के लड्डू

इन वस्तुओं का भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।


धार्मिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री का संबंध मां सती के दूसरे जन्म से है।

प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन उसमें अपनी पुत्री सती और दामाद भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया।

अपमानजनक व्यवहार और भगवान शिव के तिरस्कार से व्यथित होकर सती ने यज्ञ अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।

इस दुखद घटना के बाद भगवान शिव ने यज्ञ का विध्वंस कर दिया।

इसके पश्चात सती ने हिमालय के घर जन्म लिया और वे शैलपुत्री कहलाईं।


मंत्र और स्तुति

नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना निम्न मंत्रों से करने का विशेष महत्व है:

मूल मंत्र:
👉 “ऊं देवी शैलपुत्र्यै नमः।।”

प्रणाम मंत्र:
👉 “या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।”

स्तोत्र वंदना:
👉 “वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।”

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