प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ का अनमोल तोहफा: सुप्रीम कोर्ट के डिजिटलीकरण से देशवासियों को बड़ी सुविधा

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डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत होने जा रहे हैं, लेकिन उनके योगदान से भारतीय न्याय व्यवस्था में तकनीकी क्रांति आई है। उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट का डिजिटलीकरण तेजी से आगे बढ़ा है, जिससे अब न्यायिक सेवाओं की उपलब्धता चौबीसों घंटे संभव हो गई है।

अब 24×7 चलती है सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे दाखिल करना, कोर्ट फीस जमा करना और यहां तक कि जल्दी सुनवाई के लिए सीधे चीफ जस्टिस को ईमेल भेजने की कोई समय सीमा नहीं है। ये सुविधाएं नागरिकों को किसी भी समय न्यायिक प्रक्रियाओं में शामिल होने का मौका देती हैं।

ऑनलाइन सुनवाई ने जनता के द्वार पहुंचाई न्याय की सुविधा

अब अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना आवश्यक नहीं है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल होकर लोग अपने समय और स्थान से न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं। ये प्रावधान खासकर दूरदराज के नागरिकों के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट हुआ पेपरलेस, सबकुछ अब डिजिटल

सुप्रीम कोर्ट का डिजिटलीकरण प्रोजेक्ट, जो काफी समय से प्रगति में है, अब तीसरे चरण में है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार ने चार वर्षों के लिए 7210 करोड़ का बजट मंजूर किया है। डिजिटलीकरण का श्रेय मुख्य रूप से चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को जाता है, जिनके नेतृत्व में इसे गति मिली।

कोरोना के दौरान ऑनलाइन सुनवाई ने मिली स्थायित्व

कोरोना काल में जब अधिकतर अदालतों में ऑनलाइन सुनवाई शुरू हुई, तब चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनिश्चित किया कि यह व्यवस्था बाधित न हो। जबकि महामारी के बाद कई उच्च न्यायालय और ट्रिब्यूनल वापस पुराने तरीके पर लौट गए, सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प लगातार उपलब्ध रहा।

व्यवधान-प्रूफ वार रूम से होती है निगरानी

सुप्रीम कोर्ट में एक अत्याधुनिक वार रूम स्थापित किया गया है, जहां से कोर्ट परिसर में आने वाले हर व्यक्ति और चल रही सुनवाई की निगरानी की जाती है। यहां बैठी टीम 17 अदालतों की प्रतिदिन की कार्यवाही पर नजर रखती है, जिनमें प्रतिदिन लगभग 1100 मामलों की सुनवाई होती है।

दुनिया का सबसे बड़ा कंटेंट क्रिएटर बना सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के ऑनलाइन सिस्टम और आईटी प्रभाग के अधिकारी बताते हैं कि भारत का सुप्रीम कोर्ट अन्य देशों की सर्वोच्च अदालतों में सबसे ज्यादा मुकदमों का प्रबंधन करता है और इसे कंटेंट क्रिएटर के रूप में भी देखा जा सकता है।

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