रक्षाबंधन 2025: जानें तारीख, राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त, योग और इस पर्व का महत्व

KK Sagar
4 Min Read

रक्षाबंधन, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पारिवारिक पर्व है, जिसे पूरे भारतवर्ष में भाई-बहन के प्रेम और विश्वास के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। बदले में भाई बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन 2025 की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से आरंभ होकर 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त हो रही है। चूंकि पर्व उदय तिथि के आधार पर मनाया जाता है, इसलिए इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

9 अगस्त को राखी बांधने के लिए कुल 7 घंटे 49 मिनट का शुभ समय रहेगा। इस दिन बहनें सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इस समय के भीतर राखी बांधना अत्यंत शुभ माना जाएगा।

भद्रा काल का असर नहीं

अक्सर रक्षाबंधन पर भद्रा काल को लेकर संदेह बना रहता है, क्योंकि इस काल में राखी बांधना वर्जित होता है। लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा समाप्त हो चुकी होगी। भद्रा काल 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 9 अगस्त को तड़के 1 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। ऐसे में 9 अगस्त को दिन में राखी बांधना पूरी तरह से शुभ रहेगा।

रक्षाबंधन पर बन रहे हैं विशेष शुभ योग

इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी खास बना देते हैं। 9 अगस्त को सुबह 4 बजकर 8 मिनट से लेकर 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग भी 9 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा, जो किसी भी कार्य को सफल बनाने वाला योग है।

इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इन विशेष कालों में पूजा-पाठ, जप, ध्यान और शुभ कार्य करना अत्यंत फलदायक होता है।

रक्षाबंधन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

रक्षाबंधन सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक ऐसा दिन है जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। यह पर्व परंपरा, भावनाओं और पारिवारिक मूल्यों को जीवंत करता है। इस दिन बहनें सिर्फ राखी नहीं बांधतीं, बल्कि अपने भाई की लंबी उम्र और जीवन की रक्षा के लिए प्रार्थना भी करती हैं। भाई भी बहनों को उपहार देकर यह वादा करते हैं कि वे जीवनभर उनकी सुरक्षा करेंगे।

रक्षाबंधन केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं रहा है। आज यह पर्व सामाजिक समरसता और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन चुका है। कई स्थानों पर महिलाएं सैनिकों, गुरुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य सुरक्षा प्रदाताओं को भी राखी बांधती हैं।

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....