भौरा में हुए खनन हादसे की मांगी गई रिपोर्ट, प्रबंधन और खदान की सुरक्षा के जिम्मेवारों ने साध ली चुप्पी, एनजीटी की भी उनपर नहीं पड़ी नजर

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मिरर मीडिया : बीसीसीएल के भौरा आऊटसोर्सिंग फोर ए पैच में विगत 9 जून को हुए हादसों पर एनजीटी ने संज्ञान लेते हुए धनबाद उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी है।

इसमें राज्य आपदा प्रबंधन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भी प्रतिवादी बनाया गया है।हालांकि इसमें ना तो बीसीसीएल को प्रतिवादी बनाया गया है न हीं खान सुरक्षा महानिदेशालय को। जबकि नियम के मुताबिक बीसीसीएल के कोयला क्षेत्रों में किसी प्रकार के हादसा के लिए सिर्फ और सिर्फ खान सुरक्षा महानिदेशालय की जिम्मेवारी बनती है।

कोल मांइन्स रेग्युलेशन 2017 के धारा 08 के तहत एवं Mines Act 1952 के धारा 23 के तहत BCCL के एजेंट या मालिक को Chief Inspector of Mines, DGMS (खान सुरक्षा महानिदेशालय) को सूचित करना अनिवार्य है ऐसा करने में असफल रहने पर माइन्स Act 1952 के धारा 70 के तहत 03 माह की कैद एवं वित्तीय दंड का प्रावधान है।वहीं DGMS को सूचना देने के बाद DGMS द्वारा इन्क्वारी करते हुए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जाता है या फिर DGMS चाहे तो Court of Enquiry का गठन करते हुए कानूनी करवाई भी कर सकती है।

जबकि उक्त घटना के बाद ना तो खान सुरक्षा महानिदेशालय ने कोई इंक्वायरी किया ना ही किसी प्रकार के प्राथमिकी दर्ज की वहीं बीसीसीएल के द्वारा भी किसी प्रकार की कोई सूचना खान सुरक्षा महानिदेशालय को नहीं दी गई।

यहां बता दें कि कोयले की देखरेख रखरखाव, उत्पादन और निर्यात की जिम्मेवारी बीसीसीएल की है इसके लिए बीसीसीएल के हर कोलियरी में जीएम, परियोजना पदाधिकारी सहित सीआईएसएफ की टीम सुरक्षा में लगे रहते हैं बावजूद कोयले की चोरी नहीं रुकती।

वही बीसीसीएल ने आउटसोर्सिंग एजेंसी को कोयले खदानों की देखरेख और डिस्पैच हेतु कार्य दिया हुआ है आउटसोर्सिंग एजेंसी की भी कोयले की देखरेख और रखरखाव की जिम्मेदारी बनती है यानी की कुल मिलाकर बीसीसीएल के अधीनस्थ आउटसोर्सिंग कर्मचारी सीआईएसएफ की टीम जीएम, परियोजना पदाधिकारी सहित कोलियरी के एजेंट जिनको मालिक भी कहते हैं वह सब मिलकर कोयले की खदानों की सुरक्षा में रहते हैं इतनी बड़ी संख्या में देखरेख के बावजूद भी कोयले की चोरी नहीं रुकती और अवैध तरीके से लोगों का प्रवेश होता है। यहां तक की धनबाद उपायुक्त ने खनन टास्क फोर्स की बैठक में कई दफा स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोयला क्षेत्र में अवैध उत्खनन ना हो इसको लेकर सीसीटीवी कैमरे से मॉनिटरिंग करें।

वहीं दूसरी तरफ अगर कोयला क्षेत्रों में किसी प्रकार की कोई दुर्घटना होती हैं यहां तक की किसी को चक्कर आता है और वो अगर गिर जाता है तो उसके बाद की जिम्मेवारी डीजीएमएस की बनती है लेकिन ना तो भौरा पेच में हुए हादसा के लिए बीसीसीएल को जिम्मेदार ठहराया गया न ही खान सुरक्षा महानिदेशालय को।

जबकि यहां दोनों की भूमिका संदिग्ध है और दोनों ने ही चुप्पी साध रखी है एक तरफ जहां जिला प्रशासन ने भौरा में हुए खनन हादसा में जांच टीम गठित कर दी थी जिसमे 2 मौत की पुष्टि हुई है वहीं दूसरी तरफ बीसीसीएल ने किसी प्रकार की मौत की पुष्टि नहीं की है जबकि डीजीएमएस अपने मुंह पर ताला जड़ लिया।

ज्ञात रहें कि 9 जून को भौरा के आउटसोर्सिंग फोर ए पैच में अवैध खनन करने के दौरान कोयला चोरों के ऊपर अचानक चाल गिर गई थी इस हादसे में करीब आधा दर्जन से अधिक लोग दब गए। आनन फानन में स्थानीय लोगो ने मलबे से दबे लोगो को बाहर निकाला और इलाज के लिए अस्पताल ले गए वहीं गंभीर रूप से घायल लोगो को भौंरा बीसीसीएल अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने 3 लोगों की मौत की पुष्टि की थी।

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