दाखिला ना होने पर वापस नहीं किया जाता हजारों रूपये के फॉर्म का पैसा
सिर्फ फार्म के नाम पर निजी स्कुलो में करोड़ों की होगी कमाई
डीएवी, कार्मेल सहित धनबाद के 8 बड़े स्कूलों में लाखो के बिकेंगे फार्म
किसी स्कूल में 1500 तो किसी में 500 है फार्म का शुल्क
नामांकन नहीं होने के बाद अभिभावकों को नहीं रिटर्न किया जाता है पैसा
मिरर मीडिया : निजी स्कूलों में नए सत्र 2022-23 में नामांकन के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। निजी विद्यालयों में फार्म की बिक्री के साथ शुरू नए सत्र में नामांकन के लिए भागदौड़ भी शुरू हो चुकी है। जिले के अधिकांश विद्यालयों ने शुरुआती कक्षा के लिए ऑनलाइन नामांकन फॉर्म भरने की घोषणा कर दी है।
अगर हम बात करें तो जिले के डीएवी कोयला नगर, कार्मेल, डी नोबिली, धनबाद पब्लिक स्कूल हीरक और केजी ब्रांच, दिल्ली पब्लिक स्कूल एवम राजकमल में दाखिले के लिए आवेदन किए जाते हैं, जिसमें अभिभावक अपने बच्चों के नामांकन के लिए आवेदन जमा करते हैं, जिले के इन बड़े स्कूलों में लगभग 870 सीट है जबकि आवेदन करीब 3300 जमा हुए हैं।
यानी हर सीट के लिए औसतन 4 दावेदार हैं, जिसमे लॉटरी, काउंसलिंग व अन्य प्रक्रियाओं के जरिए दाखिले के लिए बच्चों का चयन किया जाएगा तमाम स्कूल इसकी तैयारियां में जुट चुके हैं।
स्कूलों में एडमिशन रजिस्ट्रेशन फॉर्म के लिए 500 से ₹1500 तक लिए जा रहे हैं। इन 8 बड़े निजी विद्यालय में डी नोबिली सीएमआरआई, कार्मेल स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, डीएवी कोयला नगर, राजकमल सरस्वती
शिशु विद्या मंदिर, धनबाद पब्लिक स्कूल हीरक ब्रांच एवम केजी आश्रम शामिल है। कुल 870 सीट के लिए लगभग 3300 आवेदन बिके हैं, जिसमें दिल्ली पब्लिक स्कूल में रजिस्ट्रेशन फार्म शुल्क की कीमत 1500 एवं अन्य सभी स्कूलों में लगभग ₹500 है।
कुल मिलाकर इन सभी स्कूलों में लगभग 22 लाख रुपए की आमदनी सिर्फ एडमिशन व रजिस्ट्रेशन फॉर्म के माध्यम से हुई है। जिले में 65 स्कूल सीबीएसई संबद्धता प्राप्त है जबकि 11 निजी स्कूल आईसीएसई से संबद्धता प्राप्त है, सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों को मिला दे तो रजिस्ट्रेशन फार्म की राशि बढ़कर करोड़ों में हो जाएगी। लगभग 75% लोगों को दाखिला नहीं मिलेगा और उनकी जमा राशि व्यर्थ हो जाएगी। यानी कि कुल मिलाकर अभिभावकों से सिर्फ फार्म के नाम पर करोड़ों रुपए की कमाई इन निजी विद्यालयों को हो रही है।
बता दें कि डीएवी कोयला नगर में लगभग 120 सीट है जबकि उसके लिए करीब 800 फॉर्म बिके हैं, यानी कि 6 गुना से अधिक सीट के मुकाबले में फॉर्म बिके हैं कुल मिलाकर करीब 4 लाख के फॉर्म केवल डीएवी स्कूल के बिके है। पूरे मामले पर झारखंड अभिभावक महासंघ के महासचिव मनोज मिश्रा ने आपत्ति दर्ज की है एवं कहा है कि केवल फार्म से निजी स्कूल लाखों की कमाई कर रहे हैं यह सरासर गलत है जिनका दाखिला नहीं होता है उन्हें शुल्क वापस नहीं किया जाता है ऐसा नहीं होना चाहिए, शुल्क का कुछ हिस्सा प्रोसेसिंग पचार्ज के रूप में काटकर बाकी राशि अभिभावकों को लौटा देनी चाहिए शिक्षा विभाग से पहले भी शिकायत कर चुके हैं फिर से पत्र लिखकर शुल्क वापस करने की शिकायत की जाएगी।