रूस काला सागर अनाज समझौते से हटा पीछे, फैसले का बाद संयुक्त राष्ट्र का बयान,कहा लाखों लोग होंगे भुखमरी का शिकार

Anupam Kumar
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मिरर मीडिया : रूस काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है। रूस के इस फैसले का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है।
बता दें, एशिया में, ज्यादातर गरीब देश अपने जरूरत का अनाज यूक्रेन से आयात करते हैं। इसी को लेकर अब संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि इससे अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी पैदा कर सकती है। इससे बदतर स्थिति का खतरा पैदा हो सकता है।
रूस ने सोमवार को बताया था कि काला सागर अनाज समझौते से पीछे हटने के दो कारण है। पहला- अपने स्वयं के खाद्य और उर्वरक निर्यात में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं और दूसरा- यूक्रेन का पर्याप्त अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंच पाया है।
वहीं इस सप्ताह शिकागो में अमेरिकी गेहूं वायदा 6% से अधिक बढ़ गया है। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद बुधवार को यह सबसे बड़ा दैनिक लाभ हुआ।

मार्टिन ग्रिफिथ्स ने 15-सदस्यीय निकाय को बताया, ‘विकासशील देशों में ऊंची कीमतों का सबसे ज्यादा असर देखन को मिला है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 69 देशों में लगभग 362 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। रूस के इन फैसलों के परिणामस्वरूप कुछ लोग भूखे रह जाएंगे, कुछ भूख से मर जाएंगे और कई लोग मर सकते हैं।’
जानकारी के लिए बता दें, रूस के फरवरी 2022 के आक्रमण से बिगड़े वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और तुर्की द्वारा एक साल पहले यह सौदा किया गया था। यूक्रेन और रूस अग्रणी अनाज निर्यातक हैं। संयुक्त राष्ट्र ने तर्क दिया कि काला सागर समझौते से विश्व स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में 23% से अधिक की कमी करके गरीब देशों को लाभ हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अफगानिस्तान, जिबूती इथियोपिया, केन्या, सोमालिया, सूडान और यमन में कार्यों में सहायता के लिए लगभग 725,000 मीट्रिक टन यूक्रेन अनाज भी भेजा। लेकिन, सबसे गरीब देशों को केवल 3% अनाज मिला है।

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