मिरर मीडिया : आज से बिहार में जाति सर्वेक्षण शुरू होने जा रहा है। आपको बता दें कि जातिगत सर्वेक्षण जिला और पंचायत स्तर से एक साथ शुरू होगा। प्रत्येक घर को एक गणना संख्या दी जाएगी और एक घर में रहने वाले लोगों की सही संख्या के साथ उनकी जाति का विवरण प्राप्त करेंगे और वे जीवन यापन के लिए क्या करते हैं, यह भी जानेंगे। लोगों को प्रक्रिया के दौरान कोई कागजात प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।
पूरी जाति जनगणना प्रक्रिया दो महीने में पूरी की जाएगी। जातिगत सर्वेक्षण के पहले चरण में मकानों का नंबरीकरण किया जाएगा। हर मकान पर मकान संख्या अंकित किया जाएगा। इस नंबर का उपयोग आगे होल्डिंग नंबर के रूप में होगा। पूरे वार्ड का नजरी नक्शा बनाकर जमा किया जाएगा। बता दें कि नजर से देखे गए निर्माण और जगह को नजरी नक्शा कहते हैं। इसे गणना करने वाले अधिकारी और कर्मचारी खुद हाथ से बनाकर देंगे। इस नक्शे में वार्ड की हर जानकारी मौजूद होगी। नक्शे में नदी, तालाब, पहाड़, पठार, स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक भवन, पोस्ट ऑफिस सबकी जानकारी देनी है। व्यक्ति का मकान कच्चा है या पक्का यह भी जानकारी देनी है। हर घर में यह सुनिश्चित करना है कि परिवार रहता है या नहीं।
बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के लिए जाने का फैसला किया था, क्योंकि भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल इस मामले पर एकमत थे, भले ही केंद्र ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की मांग को ठुकरा दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना से समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा और इस कवायद का उद्देश्य वंचित लोगों के लिए विकास कार्य करने का है।
जातिगत गणना में 204 जातियों को चिन्हित किया गया है। जिनमें 113 अति पिछड़ी जाति, 30 पिछड़ी जाति, 32 अनुसूचित जाति और 32 अनुसूचित जन जाति के साथ-साथ सामान्य वर्ग की 7 जातियों को शामिल किया गया है। इस कार्य में सभी जिलों के DM को प्रधान गणना पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के वार्ड को इकाई के रूप में रखा गया। वार्ड की संख्या 700 से कम है तो इसे एक इकाई माना जाएगा। अगर जनसंख्या 700 से ज्यादा है तो दूसरी इकाई माना जाएगा। यही प्रक्रिया नगर क्षेत्र में भी अपनाई जाएगी।