मिरर मीडिया : धनबाद में बीते रविवार को हुई अमित हत्याकांड मामले में जिन सात लोगों को आरोपित बनाया गया है उन्हें पकड़ने को लेकर पुलिस की अभी भी छापेमारी जारी है। हालांकि पुलिस अब तक ये तय नही कर पाई है कि अमित की हत्या कैसे हुई। मृतक के परिवार भी गोली से हत्या की बात नाकार रहे हैं।
फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी आना बाकी है जिसके बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकता है। वहीं इस मामले को जोड़ापोखर थाना पुलिस आपसी रंजिश, लेन-देन बता रही।
बताया जा रहा है कि जगदीश पासवान और अमित सिंह के बीच कोयला कारोबार में वर्चस्व को लेकर तनाव था। दरअसल जोड़ापोखर के भूलन बरारी में बीसीसीएल की बंद कोयला खदान है। यहां से जगदीश पासवान एवं उसके गुर्गे कोयला निकालते थे। यहीं से अमित और उसके साथी भी कोयला निकालने लगे। इसके लिए गणेश यादव के गुर्गों ने उसको हरी झंडी दी थी। कोयले के धंधे के लिए अमित को बड़े घराने का आशीर्वाद था।
जगदीश पासवान को यह बात नागवार गुजरी।
एक माह पहले जगदीश पासवान और अमित कुमार सिंह के बीच विवाद हो गया था। दोनों पक्षों के बीच जमकर फायरिंग हुई थी। लेकिन बाद में फिर समझौता भी हो गया।
समझौते के बाद जगदीश और अमित दोनों साथ उठने-बैठने लगे थे। अमित ने समझौते पर विश्वास भी कर लिया था। इसके बाद रविवार को अमित की हत्या कर दी गई।
वहीं मृतक के भाई मनीष ने बताया, ‘अमित के पीठ पर गहरे जख्म हैं। उसने गोली लगने से इनकार किया। दाईं आंख काली हो गई थी। छाती पर चाकू के वार थे। वहीं इस मामले में मृतक के पिता अशोक सिंह कि माने तो ‘घटना के बाद अमित के साथी तबरेज ने जिनके नाम बताए उन्हीं पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। वे नहीं जानते कि हत्या किसने की है।