बिहार में अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले निर्वाचन आयोग तैयारियों में जुटा हुआ है। चुनाव के पहले कहीं भी मतदाता सूची का पुनरीक्षण और पुन: प्रकाशन होता है। इसी क्रम में बिहार में भी चुनाव आयोग मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण करा रहा है। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बिहार चुनाव से पहले मतदाताओं के गहन पुनरीक्षण पर सवाल उठाया है। उन्होंने मतदाताओं के गहन पुनरीक्षण को सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की साजिश करार दिया है।

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मतदाताओं के गहन पुनरीक्षण पर सवाल उटाते हुए कहा है कि पिछली बार जो काम 2 साल में हुआ था, उसे इस बार 25 दिन में कैसे पूरा किया जाएगा। तेजस्वी ने आगे सवाल किया कि क्यों नहीं केन्द्र सरकार 25 दिन में जातीय जनगणना करा लेती है। गरीबों को वोट देने के रोकने की साजिश रची जा रही है।
बता दें कि विशेष गहन पुनरीक्षण इससे पहले वर्ष 2003 में हुआ था। उस समय जो मतदाता सूची प्रकाशित की गई, उसे पूर्ण मान्यता मिली हुई है। उसके बाद के सभी पुनरीक्षण और पुन: प्रकाशन के जो भी रिकॉर्ड हैं, उन्हें वेरीफाई किया जाना है। यानी, 2003 की उस मतदाता सूची के बाद जो भी नए वोटर जुड़े या हटे हैं, उनका सत्यापन किया जाएगा। बगैर सत्यापन उन्हें वोटर नहीं माना जाएगा।