चंद्रयान-3 के ऐतिहासिक सफल प्रक्षेपण की मुख्यमंत्री ने सभी को दी बधाई : कहा वैज्ञानिकों ने आज एक बार फिर देश का मान बढ़ाया

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मिरर मीडिया : आज Chandrayaan-3 का इसरो के प्रमुख केंद्र श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। इसी के साथ भारत का तीसरा मून मिशन करीब 40 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर पर सॉफ्ट लैंड करेगा।  इस बाबत झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए इसे ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण पल बताया है साथ ही सभी को सफल प्रक्षेपण की बधाई दी है।

गौरवपूर्ण पल!
श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 के ऐतिहासिक सफल प्रक्षेपण की सभी को अनेक-अनेक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार।
हमारे देश के कर्मठ और मेहनतकश वैज्ञानिकों की बदौलत हम नित नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। इसरो ने आज एक बार फिर देश का मान बढ़ाया है। सभी को पुनः हार्दिक बधाइयां और जोहार।

कल शुरू हुई 25.30 घंटे की उलटी गिनती के अंत में एलवीएम3-एम4 रॉकेट यहां स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे ‘लॉन्च पैड’ से अपराह्न 2.35 बजे निर्धारित समय पर धुएं का घना गुबार छोड़ते हुए शानदार ढंग से आकाश की ओर रवाना हुआ। एलवीएम3-एम4 रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है जिसे वैज्ञानिक ‘फैट बॉय’ कहते हैं। प्रक्षपेण देखने के लिए मौजूद हजारों दर्शक चंद्रयान-3 के रवाना होते ही खुशी से झूम उठे। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है।

बता दें कि चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट 179 किलोमीटर ऊपर तक ले गया। उसके बाद उसने चंद्रयान-3 को आगे की यात्रा के लिए अंतरिक्ष में भेज दिया गया। इस काम में रॉकेट को मात्र 16:15 मिनट लगे।

इस बार रॉकेट ने कहां छोड़ा चंद्रयान-3
इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने जिस ऑर्बिट में छोड़ा है वह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) है। पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था। इस बार यह कक्षा इसलिए चुनी गई है ताकि चंद्रयान-3 को ज्यादा स्थिरता प्रदान की जा सके।

एलवीएम3एम4 रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था। अगस्त के अंत में ‘चंद्रयान-3’ की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई गई है। उम्मीद है कि यह मिशन भविष्य के अंतरग्रही अभियानों के लिए सहायक होगा। चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है।

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