मिजोरम के लिए वर्ष 2025 इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। पहली बार इस सीमावर्ती पर्वतीय राज्य की राजधानी आइजोल को देश के ब्रॉड गेज रेल नेटवर्क से जोड़ दिया गया है। बइरबी–सायरंग ब्रॉड गेज रेलवे परियोजना के पूरा होने के साथ न सिर्फ मिजोरम, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत की तस्वीर बदलने जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 नवंबर 2014 को रखी गई इस परियोजना की आधारशिला अब विकास की मजबूत रेल बन चुकी है। लगभग 10 वर्षों की मेहनत और चुनौतियों को पार करते हुए इस प्रोजेक्ट को जून 2025 में रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की अनुमति के बाद औपचारिक रूप से शुरू कर दिया गया।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ :
- रेल मार्ग की लंबाई : 51.38 किलोमीटर
- गति क्षमता : 100 किलोमीटर प्रति घंटे
- स्टेशन : बइरबी, हॉर्तोकी, कवनपुई, मुआलखांग और सायरंग
- सुरंगें : 48 सुरंगें (कुल लंबाई 12.85 किमी)
- पुल : 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल, सबसे ऊँचा पुल 104 मीटर (कुतुबमीनार से भी ऊँचा)
- लागत : ₹7,714 करोड़
- निर्माण एजेंसी : उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे (NFR)
आर्थिक, सामाजिक और सामरिक असर :
इस रेल लाइन के शुरू होने से मिजोरम के आम लोगों के जीवन में बदलाव आने वाला है। अब उन्हें तेज, सस्ता और सुरक्षित परिवहन का साधन मिलेगा।
कृषि उत्पाद देश के बड़े बाजारों तक पहुंच सकेंगे, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। स्वास्थ्य सेवाओं, उच्च शिक्षा और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे।
पर्यटन के लिहाज से भी यह परियोजना मिजोरम के प्राकृतिक सौंदर्य को और सुलभ बनाएगी। पहाड़ों, सुरंगों और पुलों के बीच की यह रेल यात्रा घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए यादगार अनुभव बनेगी।
सामरिक दृष्टि से भी इस रेलवे लाइन का बड़ा महत्व है। म्यांमार सीमा के करीब होने के कारण यह रेल संपर्क भारत की रणनीतिक तैयारियों को और मजबूत करेगा। यह परियोजना भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को भी नई दिशा देगी।
इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना :
परियोजना के निर्माण के दौरान कई कठिनाइयाँ आईं। बारिश, भूस्खलन, दुर्गम भूगोल, सीमित संसाधन और श्रमिकों की कमी के बावजूद रेलवे ने समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा किया। केवल 4–5 महीने ही निर्माण कार्य संभव था, बाकी समय मौसम बाधक बनता रहा।
पूर्वोत्तर के लिए ऐतिहासिक कदम :
अब मिजोरम की राजधानी आइजोल भी भारतीय रेल के नक्शे पर जुड़ गई है। इसके साथ ही गुवाहाटी (असम), इटानगर (अरुणाचल प्रदेश), अगरतला (त्रिपुरा) और शिलांग (मेघालय, आंशिक रूप से) पहले से ही ब्रॉड गेज से जुड़े हैं।