मिरर मीडिया : झारखंड राज्य में NGT प्रभावी है और साथ में नदी घाटों से किसी भी तरह के बालू के उठाव पर रोक है। बावजूद इसके जिले में बे रोक टोक के अवैध रूप से बालू का परिचालन जारी है। सुबह का दृश्य देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि शहर बालू घाट में तब्दील हो गया है। बता दें कि पुलिस लाइन और पार्क मार्केट के पास दर्जनों बालू लदी गाडियां लगी रहती है। सुबह 6 बजे से 8 बजे तक यहां पर वाहनों की कतारें देखने को मिल जाएगी। पुलिस लाइन के पास सभी का जमावड़ा लगता है और वहीं से बालु को लोड और अनलोड किया जाता है। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि एनजीटी के रोक के बावजूद शहर में अवैध रूप से बालू लदी गाड़ियां प्रवेश कैसे कर रही है।
पुलिस लाइन जो की शहर के व्यस्ततम इलाकों में एक है वहां पर खुलेआम बालू को सड़क पर लोड और अनलोड किया जाता है बावजूद किसी की नजर क्यों नहीं पड़ती। सड़क को अतिक्रमण कर बालू घाट के रूप में तब्दील कर वहीं से अवैध कारोबार किया जाता है बावजूद सम्बन्धित विभाग और अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते जबकि उपायुक्त वरुण रंजन ने खनन टास्क फोर्स के बैठक में अवैध रूप से हो रहे बालू के उठाव पर कार्रवाई करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। विदित हो कि उन्होंने कहा था कि NGT लागू है ऐसे में किसी प्रकार से बालु के उठाव पर रोक है बावजूद अधिकारी एक दो गाड़ियों को पकड़ कर केवल खाना पूर्ति करती हैं, नतीजा अवैध बालू कारोबारी पर लगाम नहीं लगता और उनका मनोबल इतना बढ़ा हुआ होता है कि बे रोक टोक के रोजाना दर्जनों गाड़ियां शहर में प्रवेश करती है और आम आदमी से मनमानी कीमत वसूलते हैं। जबकि सच पूछिए तो बालु की कीमत नहीं के बराबर होती है लेकिन नदी घाट से शहर आते-आते इसकी कीमत आसमान छूने लगती है और आम आदमी को इसका हरजाना भरना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ सरकार को राजस्व की हानि भी होती है।
बहराहल अधिकारी सजग होकर अवैध बालू के हो रहे कारोबार पर कितना जल्दी अंकुश लगाते हैं और सरकार को हो रही राजस्व की क्षति पर रोक लगाने में सफल होते है या कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करती है यह देखने वाली बात होगी।