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जज़्बा ऐसा कि आजादी की लड़ाई में शिव शंकर ठाकुर ने झोंक दी थी अपनी जवानी – आजादी के अमृत महोत्सव

महान स्वतंत्रता सेनानी बोका ओसदन हजाम उर्फ स्व शिव शंकर ठाकुर ने भारत छोड़ो आंदोलन में निभाई सक्रिय भूमिका

मिरर मीडिया : स्वतंत्रता सेनानी स्व शिव शंकर ठाकुर को देश की गुलामी बचपन से ही घिक्कारती थी। इस वजह से पढ़ाई-लिखाई में भी उनका मन नहीं लगा। पांचवीं में पढ़ाई के दौरान ही वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई से जुड़ गए। भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने जोर-शोर से हिस्सा लिया। जगह बदल-बदल कर अंग्रेज अफसरों और प्रशासन की घेराबंदी की। जिससे अंग्रेजों की नाक में दम हो गया था। कई साथी गिरफ्तार हो गए, तो आंदोलन को चलाने के लिए वे भूमिगत हो गए। लेकिन 23 जनवरी, 1943 को वे भी गिरफ्तार हो गए।

उन्होंने अपनी जवानी आजादी की लड़ाई में झोंक दी। ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। महीनों भूमिगत भी रहे। पकड़े जाने के बाद जेल में भी रहना पड़ा। वर्षों के संघर्ष के बाद आजादी मिली। हमारी अपनी सरकार बनी। इसके बाद भी शिव शंकर ठाकुर में देशभक्ति का वही जज्बा बरकरार रहा। जब भी देश या देशवासियों पर कोई संकट आया, उन्होंने उसी जज्बे के साथ उसका सामना किया।

शिव शंकर ठाकुर को सम्मान के लिए दिल्ली बुलाए जाने पर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने पूछा कि आखिर उनका सम्मान क्यों किया जा रहा है। इंदिरा गांधी ने उन्हें बताया कि वह वर्ष 1971 में रूस की संसद गई थीं। वहां कुछ बुजुर्गों को आते देख राष्ट्रपति व पीएम खड़े हो गए थे। तब इंदिरा के पूछने पर रूसी प्रधानमंत्री ने उन्हें बताया कि ये स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिन्हें सम्मान के लिए बुलाया गया है। इसके बाद ही इंदिरा गांधी ने भारत में भी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने का चलन शुरू कराया।

ठाकुर का जन्म बिहार के मुंगेर जिला के संग्रामपुर प्रखंड अंतर्गत सोहड़ा में हुआ था। उन्होंने तारापुर में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई में भी हिस्सा लिया। तीन महीना जेल में रहे। जिस कारण उनकी पढ़ाई लिखाई भी बंद हो गई। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में नौकरी लगने पर वे धनबाद आए। पत्नी सावित्री देवी और एक बेटी के साथ धनबाद में ही रहने लगे। वर्ष 1988 में सेवानिवृत्त हुए।

उनकी सुपुत्री नीता कुमारी ने बताया कि पिताजी को खेती-बाड़ी में बहुत रुचि थी। उनका बचपन गरीबी में बीता। दादी के हाथ का माड़‌ और भात खा कर जीवन यापन करते थे।पिताजी को नागरिक सुविधाओं पर विशेष ध्यान रहता था। बाढ़ पीड़ित को हमेशा सहायता करते थे। सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे सक्रिय रहे। वृद्धावस्था में भी उन्होंने जिला प्रशासन को पूरा सहयोग किया और अपनी दूर दृष्टि से मार्गदर्शन दिया।

उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता सेनानी शिव शंकर ठाकुर को पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी, झारखंड के प्रथम राज्यपाल माननीय प्रभात कुमार द्वारा भी सम्मानित किया गया था।

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