एसएचजी से जुड़कर तंगहाली से खुशहाली की ओर बढ़ी सालुकचपड़ा की निशा दीदी
मिरर मीडिया : हौसला अगर हो तो सफलता आपके द्वार खुद चलकर आएगी। हमारे देश में महिलाओं को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियां धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। अब महिलाएं घर की चारदीवारी से निकलकर बाहर पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला रही है। हिंदुस्तानी बेटियां अब घर तक सीमित नहीं है, वे अपने कदम हर क्षेत्र में बढ़ा रही है और कामयाबी हासिल कर रही है।
कालियासोल प्रखंड के सालुकचपड़ा गांव की निशा आचार्य ने अपने पति देवसाधन आचार्य के साथ अपनी दुनिया बसाई है। निशा पढ़ी-लिखी महिला है और कुछ करने की इच्छा हमेशा उनके अंदर भूचाल उत्पन्न करती थी। परंतु वह कुछ नहीं कर पाती थी। उनके पति का भी स्थाई कोई काम नहीं था, वे किसी दुकान में काम करते थे किसी दिन काम मिलता तो घर में चार पैसे आते थे। किसी तरह से उनका गुजर-बसर बड़ी कठिनाइयों से हो पाता था। इसी बीच उनको एक बच्चा भी हो गया। अब तो वह हमेशा बच्चे के भविष्य को लेकर परेशान रहने लगी।
तब उनके गांव में समूह बनाने वाली टिम (आईसीआरपी) का आगमन हुआ और उनके द्वारा समझाने पर निशा आचार्य चंदाचुर आजीविका सखी मंडल से 2020 में जुड़ गई। समूह से जुड़ने के बाद उनकी खुशहाली का समय शुरू हुआ। समूह के माध्यम आरएसईटीआइ सेंटर से दीदी ने चूड़ी बनाने का ट्रेनिंग ली।
धीरे धीरे छोटी छोटी पूंजी लगाकर चुड़ियों को बेचने लगी। फिर जब बात बड़ी पूंजी लगाने की आइ तब उनके समूह में आरएफ तथा सीआइएफ आया। उन्होंने बैठक में सभी सदस्यों के बीच अपनी तंगहाली से परेशान दुकान खोलने के लिए चर्चा की।
उनकी इस मर्जी में उनके समूह सदस्यों ने भी भरपूर मदद की और आरएफ तथा सीआइएफ से 20000 रूपए का लोन दिया। अपना कुछ पैसा लगाकर निशा दीदी ने चूड़ी के वयापार को और आगे बढ़ाया तथा दुकान दुकान में आर्डर लेकर चुड़ियां सप्लाई करने लगी। कुछ दिनों बाद बैंक से भी उनके समूह का सीसीएल पास हो गया जिसके माध्यम से दीदी ने और 40000 रुपये लेकर अपने व्यापार को और बड़ा किया। जिससे उनकी कमाई महीने में पांच से छह हजार हो जाती है।
निशा दीदी ने हाल ही में दीदी बाड़ी योजना के तहत खेती भी की है तथा पहले खाना बनाने के लिए जलावन के लिए प्रतिदीन जंगल जाना पड़ता था अभी उज्ज्वला योजना की मदद से उनको गैस चूल्हा भी मिल गया है।
उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के लिए सुनहरे सपने देखने शुरू कर दिए हैं वह कहती है कि अब बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा पाऊंगी। आगे वह कहती है कि तंगहाली से खुशहाली की ओर लाने वाला हमारा समूह हमारा परिवार का एक अभिन्न अंग है जिसका मैं हमेशा ऋणी रहूंगी। उन्होंने कहा आज समूह हमारे सपनों को पूरा करते हुए सुखद अनुभव की प्राप्ति करा रहा है। हमारा समूह हमारे लिए सर्वोपरि है जिसका मैं तहे दिल से आभारी हूं।