डेंगू से लड़ने के लिए जिले के प्रत्येक प्रखंड में 5 – 5 तथा सदर अस्पताल में 20 बैड तैयार : फिलहाल जिले में नहीं है डेंगू का प्रकोप – सिविल सर्जन

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जिले में मिले थे मात्र 3 मरीज, सभी ठीक हो कर चले गए घर

निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी प्रारंभिक जांच में डेंगू के लक्षण बताकर फैलाते हैं भ्रम

मिरर मीडिया : धनबाद जिले में डेंगू का प्रकोप नहीं है। जिले में मात्र डेंगू के 3 मरीज मिले थे जो उपचार के बाद ठीक होकर अपने घर चले गए हैं। वहीं डेंगू से लड़ने के लिए सदर अस्पताल में 20 तथा प्रत्येक प्रखंड में 5 – 5 बैड तैयार रखे गए हैं। इसलिए लोगों को घबराना नहीं है। यह बातें सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा ने अपने कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान मीडिया से कहीं।

उन्होंने कहा कि डेंगू को चिन्हित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार जिले में भ्रमण कर रही है। इस दौरान टीम ने 9664 घरों का सर्वे किया और 45167 कंटेनर को चेक किया। इसमें 1264 कंटेनर में डेंगू के लारवा पाए गए जिसे डेमोफॉक्स छिड़ककर नष्ट कर दिया। भ्रमण के दौरान केवल 13 व्यक्तियों में बुखार पाया गया।

सिविल सर्जन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने एलाईजा के द्वारा 32 लोगों की जांच की। जिसमें 3 लोगों में डेंगू के लक्षण मिले। तीनों उपचार के बाद स्वस्थ होकर अपने घर चले गए। 18 लोगों की एलाईजा जांच में चिकनगुनिया के 3 मरीज मिले तथा जेई की जांच में एक भी मरीज पॉजिटिव नहीं मिला।

डेंगू के लक्षण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अचानक तेज बुखार आना, तेज सिर दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जोड़ो एवं मांस पेशियों में दर्द होना, छाती और हाथों में खसरा जैसे दाने निकल आना, मसूड़ों में खून आना, भोजन से अरुचि होना, भूख न लगना डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण होने पर तुरंत एसएनएमएमसीएच में जांच कराए।

इसके बचाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोगों को मच्छरों से बचना चाहिए। घर तथा घर के आसपास सफाई रखनी चाहिए। पुराने टायर, बरतन तथा व्यवहार में नहीं आने वाली वस्तुओं को हटा देना चाहिए और उसमें पानी जमा नहीं होने देना चाहती। पानी के बर्तनों को ढक कर रखना चाहिए क्योंकि एडिस मच्छर स्वच्छ जल में ही पनपते हैं।

साथ ही कहा कि सप्ताह में कम से कम एक बार पानी की टंकी, गमलों, कूलर, फ्रिज, फूलदानी इत्यादि की सफाई कर उसे सुखा लेना चाहिए। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए और हमेशा मच्छरदानी के अंदर सोना चाहिए। बुखार आने पर खूब पानी पीना चाहिए और आराम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को डेंगू के लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। वर्तमान में जिले के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में इसकी निशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है।

सदर अस्पताल में भी डेंगू, चिकनगुनिया, जेई के इलाज की समुचित व्यवस्था के साथ 20 बेड तथा सभी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 5 – 5 बेड के आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था की गई है।

सिविल सर्जन ने कहा कि निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी प्रारंभिक जांच में ही डेंगू के लक्षण बताते हैं, जो सरासर भ्रामक है। इसलिए सभी को डेंगू के मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने का निर्देश दिया है।

पत्रकार वार्ता में सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा, जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ सुधा सिंह, जिला वीबीडी सलाहकार रमेश कुमार सिंह, डीआरसीएचओ डॉ संजीव कुमार उपस्थित थे।

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