आज सम्पूर्ण उत्तर भारत में हनुमान जयंती की धूम है। चैत्र मास की पूर्णिमा को हर वर्ष हनुमान जी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और घर-घर में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा, भक्ति और पुण्य लाभ का विशेष अवसर माना जाता है।
हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जी को शक्ति, भक्ति, बुद्धि और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और अनेकों पुराणों में इनके शौर्य और समर्पण का गुणगान किया गया है। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के संकट दूर हो जाते हैं।
हनुमान चालीसा की शुरुआत दोहे –
“श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि…” से होती है, और इसकी पहली चौपाई –
“जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर” अत्यंत प्रसिद्ध है।
चैत्र पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
चैत्र पूर्णिमा को हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना के लिए भी अत्यंत शुभ होता है। साथ ही यह दिन वैशाख मास की शुरुआत का संकेत भी देता है, जो पूरे वर्ष का सबसे पुण्य मास माना गया है।
पूर्णिमा को चंद्रमा अपने पूर्ण प्रकाश में होता है, जिससे मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और चंद्रमा को अर्घ्य देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
चैत्र पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त (12 अप्रैल 2025)
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 12 अप्रैल, रात 3:21 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 13 अप्रैल, सुबह 5:51 बजे
- उदया तिथि अनुसार हनुमान जयंती: 12 अप्रैल को मनाई जाएगी
पूजा के शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:29 से 5:14 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:21 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:44 से 7:06 तक
- निशिता काल: रात 11:59 से 12:44 तक
चैत्र पूर्णिमा एवं हनुमान जयंती पूजा विधि
1. प्रातः काल की तैयारी:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें।
2. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा:
- लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें चंदन, रोली, कुमकुम, पुष्प, फल, खीर, मिठाई आदि अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं और कनकधारा स्तोत्र व विष्णु मंत्रों का जाप करें।
- अंत में आरती करें।
3. हनुमान जी की पूजा:
- हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल, बूंदी या बेसन के लड्डू अर्पित करें।
- हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
- आरती के लिए गाय के घी या सरसों के तेल का दीपक जलाएं। कपूर से भी आरती कर सकते हैं।
4. चंद्र पूजन एवं दान:
- रात को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल, दूध, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
- अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र, अन्न, धन, पुस्तकों आदि का ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान करें।
चैत्र पूर्णिमा के विशेष कार्य:
- मानसिक शांति के लिए ध्यान और साधना करें
- संकटों से मुक्ति हेतु हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें
- पवित्र जल स्रोतों में स्नान कर पुण्य अर्जित करें
- चंद्रमा को अर्घ्य देकर मनोकामनाएं प्रकट करें
- जरूरतमंदों की सेवा कर इस पुण्य तिथि को सार्थक बनाएं