पैंगोंग झील के किनारे छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण, लद्दाख में भारतीय सेना का हौसला बढ़ा

mirrormedia
3 Min Read

जम्मू। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सेना के जवानों को निरंतर प्रेरित करने के उद्देश्य से छत्रपति शिवाजी महाराज की एक भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया है। पैंगोंग झील के किनारे मराठा लाइट इन्फैंट्री ने इस प्रतिमा को स्थापित किया।

फायर एंड फ्यूरी कोर ने जानकारी दी कि 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह प्रतिमा न केवल वीर शिवाजी को श्रद्धांजलि देती है, बल्कि भारतीय सेना के दृढ़ संकल्प और सीमा सुरक्षा की प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।

डेमचोक-देपसांग समझौते के बाद हुआ अनावरण

गौरतलब है कि यह ऐतिहासिक अनावरण भारत और चीन के बीच हालिया सैन्य वार्ता के बाद हुआ, जिसमें डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से सेना पीछे हटाने पर सहमति बनी। इसे दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सेना की 14वीं कोर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह प्रतिमा छत्रपति शिवाजी के साहस, दूरदर्शिता और न्यायप्रियता की प्रतीक है। शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास में अपनी बहादुरी और कुशल रणनीतियों के लिए जाने जाते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

गुरुवार को आयोजित इस समारोह में फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला और मराठा लाइट इन्फैंट्री के कर्नल ने प्रतिमा का अनावरण किया। सेना ने कहा कि शिवाजी महाराज की विरासत उनकी बेमिसाल सैन्य रणनीतियों और अडिग साहस में बसी हुई है।

यह प्रतिमा न केवल सैनिकों का हौसला बढ़ाती है, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक और वर्तमान सैन्य शक्ति का प्रतीक भी है। यह संदेश देती है कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा हर हाल में सुरक्षित है।

कठोर ठंड में भी तैनात हैं भारतीय सैनिक

लद्दाख की अत्यधिक ठंडी जलवायु, बर्फीले तूफान और हिमस्खलन के बावजूद भारतीय सैनिक सीमाओं पर मजबूती से डटे हुए हैं। यहां का तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इसके बावजूद सेना के कॉम्बैट इंजीनियर्स सीमावर्ती इलाकों में ऑपरेशनल तैयारियों को लगातार मजबूत कर रहे हैं।

ये इंजीनियर्स कम समय में पुल बनाने का अभ्यास कर रहे हैं, ताकि सैन्य काफिले सीमाओं तक आसानी से पहुंच सकें। वहीं, सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिक विशेष गश्ती अभियान चलाकर सतर्कता के उच्चतम स्तर को बनाए रख रहे हैं।

युद्ध क्षेत्र में कॉम्बैट इंजीनियर्स अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी जिम्मेदारी है कि सेना की प्रगति में कोई रुकावट न आए और सीमा की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित रहे।

Share This Article
Follow:
Mirror media digital laboratory Pvt. Ltd. Established February 2019. It is a Social Website channel Releted to News From all over india and Abroad with Reflection of truth. Mirror media is Connecting the people 24x7 and show all news and Views