‘हम आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लेते रहेंगे’, एससीओ शिखर सम्मेलन में राजनाथ सिंह की दो टूक

Neelam
By Neelam
4 Min Read

मंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ शहर में चल रहे एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) रक्षा मंत्रियों की बैठक में मेजबान चीन और पाकिस्तान को आतंकवाद पर सीधा संदेश दिया। एससीओ की बैठक में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद पर दो टूक अपनी बात रखते हुए कहा आतकंवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लेते रहेंगे। निर्दोषों का खून बहाने वालों को नहीं छोड़ेंगे।

आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र

एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तानी समकक्ष के सामने ही राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर का खुलकर जिक्र किया। पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 22 अप्रैल 2025 को, आतंकवादी समूह ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर एक नृशंस और जघन्य हमला किया। एक नेपाली नागरिक सहित 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। पीड़ितों को धार्मिक पहचान के आधार पर प्रोफाइल बनाकर गोली मार दी गई। द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी है।

दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं-राजनाथ

राजनाथ सिंह ने कहा, कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।

एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, भारत का मानना ​​है कि रिफॉर्मेड मल्टिलेटरिजम देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। वास्तव में, वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार यह धारणा है कि राष्ट्रों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत ‘सर्वे जना सुखिनो भवन्तु’ को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।

हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरा मानना ​​है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में वृद्धि है. शांति और समृद्धि आतंकवाद और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ-साथ नहीं रह सकती। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।

गलवानं घटना तके बाद पहली बड़ी यात्रा

इससे पहले राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ पहुंचे। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है।

Share This Article