बिहार की राजनीति में इन दिनों शिल्पी-गौतम मर्डर केस को लेकर सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है। यह हत्याकांड घटना 26 साल बाद फिर से चर्चा में है। वजह हैं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर। जिन्होंने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर इस हत्याकांड को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रशांत किशोर ने यह कह कर सनसनी मचा दी कि शिल्पी-गौतम हत्याकांड में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से सीबीआई ने पूछताछ की थी। उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड में सम्राट चौधरी नामजद अभियुक्त थे।

शिल्पी-गौतम रेप और मर्डर केस एक बार फिर से बिहार की सियासत में गरमा गया है। प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि शिल्पी गौतम रेप और मर्डर केस के कई आरोपियों में सम्राट चौधरी का नाम भी दर्ज था। पीके ने आरोप लगाया कि उस समय भी सम्राट चौधरी की भूमिका पर कई सवाल उठे थे और वह इस मामले में संदिग्ध अभियुक्त थे। उन्होंने पूछा कि क्या उस केस में सम्राट चौधरी अभियुक्त के तौर पर संदिग्ध थे या नहीं? क्या उस मामले में सीबीआई जांच हुई थी या नहीं? क्या उनका सैंपल लिया गया था या नहीं? उन्होंने यह भी कहा कि इस केस में सम्राट चौधरी की भूमिका अब भी संदिग्ध है।
क्या है शिल्पी जैन मर्डर केस?
26 साल बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिल्पी-गौतम मर्डर केस कै जिन्न बातल से बाहर आ गया है। साल 1999 का यह केस बिहार की राजनीति का सबसे सनसनीखेज और हाई-प्रोफाइल मामला माना जाता है। 3 जुलाई 1999 को पटना में कार से दो लाशें बरामद हुईं। दोनों लाशें अर्धनग्न हालत में थीं। एक शव 23 साल की शिल्पी की थी और दूसरा गौतम नाम के एक युवक का था। दोनों 2 जुलाई से गायब थे। इस दोहरे हत्याकांड ने उस समय बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया था।
कौन थीं शिल्पी जैन?
शिल्पी जैन पटना वीमेंस कॉलेज की छात्रा थी और ‘मिस पटना’ का खिताब जीत चुकी थीं। इसके चलते उसकी पटना में एक अलग ही पहचान बन गई थी। उसके पिता उज्जवल कुमार जैन पटना शहर के एक बड़े कपड़ा कारोबारी थे। वहीं गौतम एक NRI डॉक्टर के बेटे थे, राजनीति में आना चाहते थे। साधु यादव के करीबी थे। उन्हें लगा था कि साधु यादव उन्हें टिकट दिला देंगे। लेकिन बाद में साधु यादव ही गौतम की हत्या के आरोपी बने।
अपहरण के बाद कार में मिली थी दो लाशें
शिल्पी और गौतम की मुलाकात जल्दी ही प्यार में बदल गई। 2 जुलाई 1999 को जब शिल्पी कंप्यूटर क्लास जा रही थी, तभी उसे रास्ते गौतम का एक दोस्त मिला और उसने शिल्पी को कार में बैठने के लिए कहा। शिल्पी उस लड़के को गौतम के रिश्ते से जानती थीं। लिहाजा बिना शक के कार में बैठ गईं। लेकिन कुछ दूर जाने के बाद कार ने कोचिंग की बजाय एक अजनबी रास्ते की ओर मोड़ लिया। उसे बताया गया कि गौतम एक गेस्ट हाउस में उसका इंतजार कर रहा है। लेकिन गेस्ट हाउस में गौतम नहीं था। हालांकि, जैसे ही गौतम को यह खबर मिली कि शिल्पी को वाल्मी गेस्ट हाउस ले जाया गया है, वह तुरंत वहां पहुंचे। बाद में दोनों की लाश गैरेज में खड़ी मारुति कार में रख से बरामद की गई थी।
क्या है पूरा मामला?
शुरुआती जांच में पता चला कि शिल्पी के साथ कई लोगों ने रेप किया था। जबकि गौतम के शरीर पर चोट के निशान थे। जिससे हत्या की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन इस घटना को आत्महत्या बताने की कोशिश हुई। 6 दिन बाद शिल्पी के परिवार ने सामने आकर इसे हत्या बताया। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने साधु यादव से डीएनए सैंपल मांगा लेकिन साधु यादव ने कभी सैंपल नहीं दिया। हालांकि साधु यादव कहते हैं कि उनसे कभी सैंपल नहीं मांगा गया था। 2003 में सीबीआई ने इसे आत्महत्या मानते हुए क्लोजर रिपोर्ट फाइल की। 2006 में शिल्पी के भाई प्रशांत जैन ने इस केस को दुबारा खुलवाने की कोशिश की लेकिन प्रशांत का अपहरण हो गया। इसके बाद परिवार ने कोशिशें बंद कर दी।